शिक्षा की बदहाली देख छलका आइएएस अफसरों का दर्द, दिए सुझाव
देहरादून : सरकारी विद्यालय चाहे प्राथमिक, उच्च प्राथमिक हों, माध्यमिक हों, देहरादून के हों या हरिद्वार, नैनीताल, पौड़ी के तकरीबन सभी जगह एक ही दर्द समान रूप से दिलों को दुखी कर रहा है। वह है विद्यालयों में फर्नीचर की जरूरत, प्रयोगशालाओं की बदहाली और कंप्यूटरों का महज शोपीस बनते चले जाना। खास बात ये है कि ये दर्द अभिभावक के रूप में विद्यालयों का मुआयना करने वाले हाकिमों का है। जी हां, बीती छह नवंबर को सचिवालय और जिलों में अपने दफ्तरों की चौखट लांघकर छात्र-छात्राओं से गुफ्तगू कर लौटे 11 आइएएस अधिकारियों ने विद्यालयों के साथ ही शिक्षा की दशा-दिशा में सुधार को लेकर अपने सुझाव ‘सरकार’ को सौंप दिए हैं। लिहाजा गेंद अब सरकार के पाले में है और फिजा में ये सवाल तैर रहा है कि आला नौकरशाहों के सुझावों पर सरकार गौर फरमाएगी।
उत्तराखंड राज्य की स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों की कड़ी में सरकार ने अनूठी पहल की। आइएएस अधिकारियों को दून समेत विभिन्न जिलों में सरकारी विद्यालयों में भेजा गया। लेकिन उनके दौरे को मुआयने के तौर पर नहीं, बल्कि छात्र-छात्राओं के साथ बातचीत कर सरकार को सुझाव दें। सचिवालय में खुद मुख्य सचिव छात्र-छात्राओं से मिलकर उन्हें कैरियर में आगे बढऩे की सीख दे चुके हैं। वहीं विद्यालयी शिक्षा सचिव डॉ भूपिंदर कौर औलख के निर्देश पर दो प्रमुख सचिवों समेत 11 आइएएस अधिकारियों के विद्यालयों के दौरे के बाद मिले सुझावों को संकलित किया गया है। सुझाव देने वालों में खुद शिक्षा सचिव भी शामिल हैं। इस संकलन में जो तथ्य प्रमुखता से उभरा, यही है कि सरकारी विद्यालयों में जरूरी सुविधाओं के अभाव और वहां शिक्षा के बंदोबस्त से खुद आला नौकरशाह संतुष्ट नहीं हैं।
उन्होंने विभिन्न स्तरों पर सुधार की आवश्यकता जताई है। बहादराबाद, हरिद्वार के एक विद्यालय के दौरे के बाद आइएएस अधिकारी नरेंद्र भंडारी ने हरिद्वार मानदेय के आधार पर शिक्षकों की तैनाती दक्षता के आधार पर किए जाने, शौचालयों को साफ रखने व ड्रेनेज के लिए पानी की व्यवस्था का अहम सुझाव दिया। अभिषेक रौतेला, डॉ रणवीर सिंह ने विद्यालयों में प्रयोगशाओं में उपकरणों की जरूरत व उनके उपयोग, कंप्यूटर पाठ्यक्रम तय करने को कहा है। विनयशंकर पांडेय ने पढ़ाई के स्तर में सुधार, फर्नीचर की जरूरत व विज्ञान प्रयोगशाला की स्थिति सुदृढ़ करने, युगलकिशोर पंत ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन, बृजेश कुमार संत ने योगा शिक्षकों के साथ ही विद्यालय भवन की मरम्मत समेत तमाम संसाधन जुटाने की जरूरत बताई है। अशोक कुमार के मुताबिक हफ्ते में अनिवार्य रूप से एक दिन मूल्यांकन परीक्षा होनी चाहिए।
राज्य में विकसित हों आवासीय विद्यालय: राधा रतूड़ी
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय राजपुर रोड का दौरा करने के बाद प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी चाहती हैं कि राज्य के अन्य विद्यालय भी इसी तर्ज पर विकसित हों। छोटी कक्षाओं में ही प्रोफेशनल कोर्स की जानकारी दी जाए। विद्यालय के प्रधानाध्यापक के कार्य को उन्होंने खूब सराहा।
कंप्यूटर साइंस अनिवार्य हो: मनीषा पंवार
प्रमुख सचिव मनीषा पंवार ने राज्य के विद्यालयों में स्वच्छता से संबंधित पैरामीटर को सूचीगत करने, विद्यालयों में रेनवाटर हारवेस्टिंग को मनरेगा से समन्वय, कक्षा नौ से 12वीं तक कंप्यूटर साइंस अनिवार्य करने, बच्चों के लिए कैरियर काउंसिलिंग पर जोर दिया तो मुआयने वाले विद्यालय में पीने का पानी, पंखों की व्यवस्था और विज्ञान प्रयोगशाला के उपयोग करने का सुझाव भी दिया।
प्रतियोगी परीक्षाओं की मिले जानकारी: भूपिंदर औलख
विद्यालयी शिक्षा की सचिव डॉ भूपिंदर कौर औलख ने कंप्यूटर व विज्ञान प्रयोगशाला का उपयोग करने, प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में बोर्ड में जानकार चस्पा करने, प्रार्थना सभा में रोचक व प्रेरक प्रसंग व कहानियां विद्यालयों को बताने जाने की जरूरत बताई।
नियुक्ति के हर तीन साल बाद हो शिक्षकों का मूल्यांकन: रंजीत सिन्हा
आइएएस रंजीत सिन्हा ने पढ़ाने की विधि को सरल बनाने, नियुक्ति के बाद हर तीन वर्ष में शिक्षकों का मूल्यांकन करने, कंप्यूटर उपकरण, बच्चों को सिखाने के लिए शिक्षकों के माइंड सेट में बदलाव पर जोर दिया है। उन्होंने एक ही परिसर व बस्ती में चलने वाले प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों को मर्ज करने की सिफारिश की है।