कैसे बने उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश, 24 करोड़ दबाए बैठा पर्यटन विभाग
देहरादून : नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने के सपने को महकमे के अफसर ही चकनाचूर करने में लगे हैं। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद का हाल इसे तस्दीक करता है, जिसके पास आठ माह से 24 करोड़ की राशि डंप पड़ी है। जाहिर है, इससे निर्माण कार्यों पर तो असर पड़ ही रहा है, कार्यपूर्ति प्रमाणपत्र जमा न होने से विभिन्न कार्यों के लिए शासन से पैसा अवमुक्त भी नहीं हो पा रहा है। वह भी तब, जबकि शासन के पास 50 करोड़ की राशि उपलब्ध है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस स्थिति पर नाराजगी जताते हुए पर्यटन सचिव को कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
पर्यटन विकास परिषद ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए 80 करोड़ का बजट निर्धारित किया। सूत्रों के मुताबिक एक अप्रैल को परिषद के खाते में पहले से ही 47 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध थी। इसके खर्च होने और कार्यपूर्ति प्रमाणपत्र जमा कराने के बाद ही उसे शेष राशि शासन से मिलनी थी। इसे देखते हुए परिषद की एडीबी विंग ने 23 करोड़ के कार्यों का तो भुगतान कर दिया, लेकिन शेष 24 करोड़ रुपये अभी तक खर्च नहीं किए हैं। सूत्रों ने बताया कि इस रकम की उपलब्धता के मद्देनजर तमाम कार्य स्वीकृत तो किए गए, मगर भुगतान नहीं किया गया, जबकि परिषद पर करीब 20 करोड़ से ज्यादा की देनदारी है।
परिषद के अधिकारियों ने 24 करोड़ की राशि क्यों रोकी हुई है, इसका कोई जवाब उनके पास नहीं है। इससे पर्यटन विकास की राह पर तो ब्रेक लग ही रहा है, शासन में उपलब्ध 50 करोड़ की राशि भी कार्यपूर्ति प्रमाणपत्र के अभाव में परिषद को नहीं मिल पा रही है। हाल में मामला संज्ञान में आने पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने इस स्थिति पर कड़ी नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को लंबित भुगतान करने के साथ ही विभिन्न योजनाओं में तेजी लाने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हो पाई है।
पर्यटक सुविधाएं
327 पर्यटक स्थल हैं राज्य में
176 हैं पर्यटक आवास गृह
32 रैन बसेरे हैं राज्य में
4563 होटल-पेइंग गेस्टहाउस की संख्या
6164 शैया पर्यटक आवास गृहों में
1560 शैया रैन बसेरों में उपलब्ध
राज्य में 2016 में आए सैलानी
पर्यटक संख्या (लाख में)
भारतीय—————-317.95
विदेशी 1.12
नेशनल पार्कों में आए पर्यटक
भारतीय—————-3.28
विदेशी——————0.12
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि परिषद ने राज्य में विभिन्न स्थानों पर कार्य तो स्वीकृत तो किए, लेकिन इनका भुगतान नहीं किया। इसी वजह से करीब 20 करोड़ का भुगतान लंबित है। पर्यटन सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि जल्द ही भुगतान करने के साथ ही निर्माण कार्यों का कार्यपूर्ति प्रमाणपत्र शासन में जमा कराने की दिशा में कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि पर्यटन विकास को और पैसा रिलीज हो सके।