उत्तराखण्ड के सियासी मैदान में आप का कितना बड़ा है कद जनता करेगी 2022 में फैसला

देहरादून । दिल्ली में तीन विधानसभा चुनावों में जोरदार परफारमेंस देने के बाद आम आदमी पार्टी 2022 में उत्तराखंड के सियासी रण में उतरने को ताल ठोक रही है। ऊपरी तौर पर सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष कांग्रेस, इससे बेपरवाह होने का दिखावा कर रहे हैं, मगर सच यह है कि दोनों को भय सता रहा है कि आप की सेंधमारी किसके किले को ढहाएगी। भाजपा राज्य कोर ग्रुप की बैठक में इस पर लंबा मंथन हुआ। एक मंत्री ने एक घंटे तक इस पर गहन विश्लेषण पेश किया। इसका लब्बोलुआब यह कि श्आपश् को कतई हलके में नहीं लिया जा सकता। श्आपश् को बस एक अदद चेहरे की तलाश है, जिसे सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया जा सके। यह चेहरा किसी सेवानिवृत्त फौजी अफसर, कोई ब्यूरोक्रेट, समाजसेवी, किसी का भी हो सकता है। पार्टी से विद्रोह करने वाले भाजपा या कांग्रेस के किसी बड़े नेता का भी। आप भी लगाइए अंदाजा। उत्तराखंड में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में है। स्वाभाविक रूप से कांग्रेस के निशाने पर सत्तारूढ़ भाजपा होनी चाहिए, मगर पार्टी के सूबाई नेता आपसी खींचतान से ही नहीं उबर पा रहे हैं। पीसीसी मुखिया प्रीतम और नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हमजोली हैं, तो पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत का दरबार अलग ही सजता है। इन सबके बीच एक युवा नेता ऐसा भी है जो दबे कदम पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में दाखिल हो चुका है। ये जनाब हैं काजी निजामुददीन। मंगलौर से विधायक हैं, लेकिन इनका असल प्रोफाइल यह कि काजी कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी हैं। राजस्थान में पार्टी के अंदरूनी संकट से निबटने में भूमिका निभाने की एवज में पार्टी ने इन्हें बिहार विधानसभा चुनाव में सहप्रभारी का जिम्मा सौंपा है। अब बिहार चुनाव के नतीजे कुछ भी हों, मगर साफ दिख रहा है कि काजी तो आलाकमान को राजी कर ही चुके हैं।

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