प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारी अतिक्रमण हटाने को लेकर बहुत तेजी दिखा रहे
देहरादून,। जन हस्तक्षेप से जुड़े व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को उजाड़ने का पुरजोर तरीके से विरोध किया जायेगा। इसके लिए सभी विपक्षी दल एकजुट है। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार को 2016 में मलिन बस्तियों को पट्टा देने के लिए बने अधिनियम को शीघ्र ही लागू करना चाहिए। उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारी अतिक्रमण हटाने को लेकर बहुत तेजी दिखा रहे हैं मगर सरकार को देखना चाहिए कि किसी गरीब के साथ नाइंसाफी ना हो। इसके लिए सरकार को कोर्ट जाना चाहिए जिससे लोगों को अतिक्रमण हटाने के महीने भर का वक्त मिल सकें। उनका कहना है कि प्रभावित पक्ष को सुने बगैर हाईकोर्ट ने दून में अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है और तब से दून में रहने वाले गरीब लोग आतंक के साये में जीने के लिए मजबूर हैं। उनका कहना है कि खासतौर पर रिस्पना व बिन्दाल नदी के किनारे जो लोग वर्षों से निवास कर रहे हैं उन्हें अतिक्रमणकारी कह कर क्या भाजपा सरकार उनको हटाने वाली है। सरकार को यह स्पष्ट करना होगा। प्रभावित पक्ष को भी सुना जाना चाहिए और उसके बाद आगे की कार्यवाही की जाये। इस अवसर पर सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा. एसएन सचान ने कहा है कि सरकार हाईकोर्ट के आदेश का बहाना बनाकर लोगों को बेदखली करना चाह रही है लेकिन सच्चाई यह है कि यह स्थिति सरकार की उपेक्षा और लापरवाही की वजह से पैदा हुई है। वर्ष 2016 में मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को पट्टा देने के लिए अधिनियम बनाया गया था और भाजपा सरकार ने उस कानून को अमल में नहीं लाई इसके अतिरिक्त मई 2018 तक प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उत्तराखंड में एक भी घर नहीं बनाया गया है। सरकार बार-बार रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने की बात रही आ रही हे लेकिन आज तक वहां पर रहने वाले लोगों के पुनर्वास के लिए कोई काम नहीं किया गया है। बच्चीराम कौंसवाल ने कहा है कि अगर सरकार गरीब और मजदूर लोगों के हितों में बने हुए कानून और योजनाओं को अमल में नहीं करेगी तो वह कहां रहेंगें। उनका कहना है कि इस बेदखली का अभियान के दौरन अगर घर तोड़ा जायेगा तो बच्चों और बुर्जर्गों को बाहर धूप और बारिश में रहना पडेगा। उनका कहना है कि सरकार अध्यादेश पारित करें की किसी भी बेदखली का अभियान की वजह से कोई भी परिवार बेघर न हो। उनका कहना है कि अगर नदी किनारे में रह कर कोई परिवार खतरे में पड़ रहा है तो उनके लिए बुनियादी जरूरतों के अनुसार पुनर्वास की व्यवस्था की जाये और 2016 का अधिनियम और प्रधानमंत्री आवास योजना को सख्ती से लागू किया जाये। उनका कहना है कि अतिक्रमण के नाम पर लोगों को बेघर करने का पुरजोर तरीके से विरोध किया जायेगा। इस अवसर पर त्रेपन सिंह चौहान, अशोक शर्मा, अनिल बलूनी आदि मौजूद रहे।