हार्टअटैक, कॉर्डियक अरेस्ट के कारणों, लक्षणों व बचाव के बारे में बताया
देहरादून, । श्रीमहंत इन्दिरेश अस्पताल की ओर से उत्तरांचल प्रेस क्लब के सदस्यों व पत्रकारों के लिए आज कार्डियक डेथ से बचाव को लेकर जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। रिविव हार्ट फाउंडेशन के स्टेट कॉर्डिनेटर व श्रीमहंत इंदिरेश हॉस्पिटल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. तनुज भाटिया ने हार्ट अटैक और कॉर्डियक अरेस्ट के कारणों, लक्षणों, बचाव के उपायों व कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में दिए जा सकने वाले प्राणरक्षक प्राथमिक उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
दोपहर क्लब के डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल सभागार में उत्तराखंड में रिविव फाउंडेशन की ओर से 2 अक्टूबर तक चलने वाले जागरूकता अभियान का भी शुभारम्भ किया गया। डॉ. भाटिया ने बताया कि अभियान के तहत स्कूलों व विभिन्न संस्थानों में जाकर युवाओं को कार्डियक अरेस्ट और कृत्रिम श्वसन आदि के बारे में बताया जाएगा। गोष्ठी में डॉ. भाटिया ने कहा कि पिछले एक दशक में कार्डियक अरेस्ट के मामले भारत में खासतौर पर तेज़ी से बढ़े हैं। जागरूकता के अभाव में ऐसी स्थिति अक्सर घातक हो जाती है। जबकि, कार्डिएक अरेस्ट की पहचान और इसमें सीपीआर देकर किसी भी पीड़ित की प्राणरक्षा की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।
डॉ. भाटिया ने कहा कि सेहतमंद दिखने के लिए युवाओं में स्टेरॉयड लेने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। ये उनके स्वास्थ्य खासकर दिल के लिए घातक हो सकती है। जिम में भी बेतरतरीब तरीके से एक्सरसाइज उनके लिए नुकसानदेह है। सामान्य लोगों को भी दिल की बीमारियों से बचने को डॉक्टरी सलाह के बाद ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। उन्होंने धूम्रपान, गलत खानपान व बिगड़ी दिनचर्या को हृदयाघात की बड़ी वजह बताया। उन्होंने सुरक्षित एक्सरसाइज एवं एंप्लायमेंट पर जोर दिया। डॉ. भाटिया ने कहा कि हार्ट अटैक और कॉर्डियक अरेस्ट से संबंधित पूर्व लक्षणों को नजरअंदाज न करें। 35 साल की उम्र के बाद लिपिड प्रोफाइल, ईसीजी, टीएमटी आदि सामान्य जांच जरूर कराएं।
चेन्नई से आईं अलर्ट संस्था की सीपीआर विशेषज्ञ रेखा श्रीकुमार ने कार्डियक अरेस्ट के दौरान सीपीआर देकर आम आदमी भी लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं, इस बारे में डेमो दिया। कहा कि सीपीआर में छाती को दोनों हाथों से 30 बार दो इंच गहराई तक पंप करना है। इसकी गति एक मिनट में 100 बार होनी चाहिए। उन्होंने कहा एक घंटा गोल्डन ऑवर होता है, कोशिश रहे कि इस बीच मरीज अस्पताल पहुंच जाए।