स्वास्थ्य विभाग को शीघ्र मिलेंगे 116 सीएचओः डॉ. धन सिंह रावत
देहरादून, । सूबे में स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण को लेकर राज्य सरकार लगातार प्रयासरत है, सरकार का मानना है कि आम लोगों को स्थानीय स्तर पर ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ हो सके। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर में संचालित सभी वेलनेस सेंटरों पर शतप्रतिशत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को तैनात करने का निर्णय लिया है। शीघ्र ही विभाग को 116 सीएचओ और मिलने जा रहे हैं, जबकि 1399 सेंटरों पर सीएचओ की तैनाती पूर्व में की जा चुकी है। सूबे के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मीडिया को जारी एक बयान में बताया कि प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना राज्य सरकार की प्राथमिकता में है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर आम लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के दृष्टिगत सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के शतप्रतिशत पद भरने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके तहत गत वर्ष दिसम्बर माह तक कुल 1683 पदों के सापेक्ष 1399 पदों पर सीएचओ की तैनाती कर दी गई थी जबकि 205 पद रिक्त रह गये थे। रिक्त पदों को भरने की जिम्मेदारी एचएनबी उत्तराखंड मेडिकल विश्वविद्यालय को सौंपी गई। जिसके क्रम में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा द्वितीय चरण की कॉउंसिलिंग के बाद सीएचओ पद के लिये सभी अर्हताएं पूर्ण करने वाले 116 चयनित अभ्यर्थियों की सूची स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी है। शीघ्र ही इन चयनित अभ्यर्थियों की तैनाती विभिन्न जनपदों में रिक्त वेलनेस सेंटरों पर कर दी जायेगी, जिसके लिये विभागीय अधिकारियों को नियुक्ति पत्र जारी करने के निर्देश दे दिये गये हैं। इन नये चयनित सीएचओ की तैनाती के बाद स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत विभिन्न वेलनेस सेंटरों में तैनात सीएचओ की संख्या 1515 हो जायेगी। जिनके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों की साधारण जांच से लेकर स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न योजनाओं की बेहतर जानकारी आम लोगों को मिल सकेगी। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी का मुख्य कार्य ग्रामीण इलाके में लोगों को स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। इन कार्यों में मरीजों का इलाज करवाना, ओपीडी का संचालन करना एवं गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को उचित स्वास्थ्य सलाह देना शामिल है। इसके अलावा दुर्घटना की स्थिति में वह व्यक्ति को प्राथमिक उपचार भी उपलब्ध करवाते हैं। उन्हें आशा वर्कर, एएनएम एवं ग्राम प्रधान के साथ मिलकर स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं एवं कार्यों की जानकारी भी आम लोगों तक पहुंचानी होती है।