HC का आदेश, लिखित अनुमति के बिना लाउडस्पीकर नहीं कर सकेंगे इस्तेमाल
चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने अधिकारियों की लिखित अनुमति के बगैर लाउडस्पीकर एवं अन्य जन संबोधन प्रणाली का इस्तेमाल धार्मिक स्थानों सहित निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में करने को प्रतिबंधित कर दिया है। अदालत ने गुरूवार को दिये फैसले में कहा कि यह प्रतिबंध दिन के समय भी जारी रहेगा और शोर का स्तर दस डेसिबल (ए) से अधिक नहीं होगा। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति हरिंदर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने दोनों राज्यों तथा चंडीगढ़ को आदेश दिया कि वह यह सुनिश्चित करें कि लाउडस्पीकर, जन संबोधन प्रणाली, संगीत वाद्ययंत्र और ध्वनि एम्पलिफायरों का इस्तेमाल रात के समय नहीं हो । हालांकि, आडिटोरियम, काफ्रेंस कक्षों, सामुदायिक भवनों, बैंक्वेट हॉल को ध्वनि प्रदूषण (नियमन एवं नियंत्रण) नियम 2000 के नियमों के अनुसार छूट दी गयी है। खंडपीठ ने आदेश दिया, ‘‘दोनों राज्यों एवं संघ शासित प्रदेश को निर्देश दिया जाता है कि वह यह सुनिश्चित करें कि लाउडस्पीकर और जन संबोधन प्रणाली का इस्तेमाल, किसी सांस्कृतिक या धार्मिक उत्सव को छोड़कर (रात दस बजे से 12 बजे तक) रात दस बजे से सुबह छह बजे तक नहीं हो।सांस्कृतिक या धार्मिक उत्सव को दी गयी यह छूट साल में 15 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए और वह भी तब जब शोर का स्तर 10 डेसिबल (ए) से अधिक नहीं बढ़े। पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के उपायुक्तों से कहा गया है कि वह यह सुनिश्चित करें कि वार्षिक परीक्षाओं के दौरान और उससे 15 दिन पहले लाउडस्पीकरों की अनुमति नहीं दी जाए ।अदालत की खंडपीड ने ध्वनि प्रदूषण पर नियमों को लागू करने और ‘अश्लीलता’ तथा ‘बंदूक संस्कृति’ को बढ़ावा देने वाले गीतों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली विभिन्न याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया है।