हरियाणा का उत्तराखण्ड से राजनीतिक जुड़ाव चुनाव में पहाड़वासियों में खासा चर्चा का विषय
देहरादून, । हरियाणा का उत्तराखण्ड से राजनीतिक जुड़ाव इस चुनाव में पहाड़वासियों में खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा हो या काँग्रेस इन दोनों दलों के नेता इसकी कड़ी हैं। भाजपा के दुष्यंत गौतम उत्तराखण्ड के प्रभारी हैं जिनका पार्टी में केवल राजनैतिक दबदबा ही नहीं अपितु वरिष्ठता के चलते अहम फैसलों में भी निर्णायक रहे हैं। ओमप्रकाश भट्ट पूर्व में हरियाणा में पार्टी संगठन का जिम्मा संभाले हुए थे। कुमाऊँ से नाता रखने वाले श्री भट्ट की भी हरियाणा में राजनीतिक दखल है। इस चुनाव में भाजपा ने मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी को चुनाव प्रचार में प्रवासियों को लुभाने के लिए कई सीटों पर भेजा। वे कितना प्रभावी होंगे यह चुनाव परिणाम ही बता पायेंगे ?चुनाव में प्रत्यक्ष रूप से कूदे भाजपा नेता करतार सिंह भडाना जो इसी साल उत्तराखण्ड के मंगलौर विधासभा सीट से उपचुनाव में हारे हैं, अपने बेटे भाजपा प्रत्याशी मनमोहन के लिए समालखा सीट पर दौड़-धूप कर रहे हैं। जहां उनका मुकाबला काँग्रेस के सिंटिंग एम.एल.ए. धर्म सिंह से है। श्री भडान की बहन दयावन्ती इनोला के टिकट पर पुन्हाना सीट से लड़ रही है। इस परिवार का राजनीति में गहरा दखल है और परिवारवाद को अक्सर कोसने वाली भाजपा ने ही इनके अनुज अवतार सिंह और उसकी पत्नी उनकी पत्नी ममता को भी पहले चुनाव उम्मीदवार बनाया था हालांकि इस बार वे नहीं लड़ रहे हैं। भडाना परिवार का पांच राज्यों में राजनीतिक दखल रहता है। दूसरी ओर काँग्रेस में उत्तराखण्ड से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े सोनीपत के सांसद सतपाल ब्रहमचारी हरिद्वार नगर पालिका के अध्यक्ष रहे हैं और तीर्थ नगरी से विधायक का चुनाव भी काँग्रेस के टिकट पर लड़ चुके हैं। पूर्व में उत्तराखण्ड के प्रभारी रहे चौधरी विरेन्द्र सिंह जो मोदी सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रहे अब काँग्रेस में वापिस आ गये हैं और मौजूदा प्रभारी हाल ही में सांसद चुनी गयी सुश्री शैलजा का नाम महत्वपूर्ण हैं। अब हरियाणा की राजनीति का ऊँट क्या करवट लेगा यह तो आठ तारीख को परिणाम ही बता पायेंगे किन्तु चुनावी माहौल यहां बेहद रोचक बन गया है। पानीपत, कुरूक्षेत्र, रोहतक, करनाल और सोनीपत का जो मिजाज नजदीक से भ्रमण के दौरान दिखाई दिया उसमें भुपेन्द्र सिंह हुड्डा चर्चा में है काँग्रेस में भले ही उन्हें अपनों से चुनौती मिल रही है लेकिन वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हरियाणा अर्बन डेवलपमेन्ट ऐथोरिर्टी (हुड़ा) नाम भी उनके लिए सहायक साबित हो रहा है।