गुरु और शुक्र की नींद ने बढ़ाया कुंवारों का इंतजार, लग्न-मुहूर्त में देरी
वाराणसी । मांगलिक कार्यों के कारक ग्रह बृहस्पति व शुक्र की लंबी निद्रा इस बार विवाह के दिन गिन रहे कुंवारों का इंतजार और बढ़ाएगी। हर वर्ष चातुर्मास समाप्ति के बाद मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते रहे हैं लेकिन इस बार 31 अक्टूबर को हरि प्रबोधिनी एकादशी के समय आकाश मंडल में गुरु अस्त होगा। दो नवंबर को भगवान भाष्कर के साथ तुला राशि में बृहस्पति के साथ शुक्र भी आएंगे और अस्त हो जाएंगे। मांगलिक कार्य के कारक दोनों ग्रहों के अस्त होने से शुभ कार्यादि इस बार 19 दिन विलंब से यानी 19 नवंबर से आरंभ होंगे।
सनातन धर्म में आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक के चार मास चातुर्मास के नाम से जाने जाते हैं। इस बार पांच जुलाई को चातुर्मास आरंभ हुआ और श्रीहरि क्षीर सागर में चार माह के शयन पर हैं। साथ ही शास्त्रीय विधान अनुसार सनातनियों के शुभ कार्य यथा विवाह, द्विरागमन, मुंडन, गृह प्रवेश आदि भी वर्जित चल रहे हैं। हरि प्रबोधिनी (देवोत्थान) एकादशी पर 31 अक्टूबर को श्रीहरि के जागरण के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो जाने चाहिए लेकिन इसके कारक दोनों ग्रहों के अस्त होने से उनके जागरण का इंतजार करना होगा। मांगलिक कार्यों का क्रम 19 नवंबर से शुरू होकर 10 दिसंबर तक चलेगा।
ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण द्वादशी तद्नुसार 14 दिसंबर को फिर शुक्र सुबह 8.38 बजे पूर्व में अस्त हो जाएंगे। इससे एक बार फिर विवाह समेत शुभ कार्यों पर विराम लग जाएगा। वहीं 16 दिसंबर को सूर्यदेव के धनु राशि में प्रवेश के साथ खरमास भी शुरू हो रहा है जिसका समापन तो मकर संंक्रांति को हो जाएगा लेकिन इस समय शुक्रास्त होने से रोड़ा बरकरार रह जाएगा। इसके 24 दिन बाद तीन फरवरी को शुक्र उदय होंगे। उनका बालत्व छह फरवरी को खत्म होगा। ऐसे में इस सत्र में भी 24 दिन की देरी से सात फरवरी को लग्न आरंभ होगा और 14 मार्च को फिर खरमास लग जाएगा।
115 दिन में 41 लग्न मुहूर्त
नवंबर में नौ : 19 से 24, 28 से 30 तक।
दिसंबर में छह : तीन से पांच व आठ से दस तक।
फरवरी में 13 : सात से बारह, 18 से 20, 23 से 25 व 28।
मार्च में 13 : एक से 13 तक लगातार।
News Source: jagran.com