गुजरात चुनावः वोटों का अंतर पाटना कांग्रेस की बड़ी चुनौती
अहमदाबाद। गुजरात के 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जहां 47.85 फीसद मत मिले, वहीं कांग्रेस को 38.93 फीसद मत हासिल हुए। दोनों दलों के बीच 8.92 फीसद मतों का अंतर रहा, जिसे पाटना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 165 सीटों पर बढ़त हासिल की। लेकिन, एक साल बाद ही निकाय चुनाव में कांग्रेस 33 में से 23 जिला पंचायतों पर काबिज हो गई थी।
गुजरात में किस पार्टी का राज होगा, यह तो 18 दिसंबर को ही तय होगा। लेकिन, इस बार चुनाव जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने प्रचार अभियान में पूरी ताकत झोंक दी है। सरकार बनाने के लिए किसी पार्टी को विधानसभा की 182 में से 92 सीटों की जरूरत होगी। लेकिन, भाजपा जहां 150 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रही है वहीं कांग्रेस भी 125 सीटें जीतने का दावा कर रही है। पांच साल पहले हुए गुजरात चुनाव में भाजपा ने 118, कांग्रेस ने 57, राकांपा ने 2 और जीपीपी ने 2 सीटों पर चुनाव जीता। जदयू को एक और निर्दलीय को एक सीट पर जीत मिली। बाद में उप चुनाव और दलबदल के चलते वर्तमान में भाजपा के 121 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। कांग्रेस से अलग हुए एक दर्जन विधायकों में से अधिकतर के भाजपा में शामिल हो जाने से भाजपा की स्थिति मजबूत होनी चाहिए थी। लेकिन, पाटीदार, ओबीसी और दलित आंदोलन के चलते भाजपा में अंदरखाने एक चिंता बनी हुई है।
गौरतलब है कि भाजपा ने 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान सभी 26 सीटों पर कब्जा जमा लिया था। लेकिन, इसके एक साल बाद ही 2015 में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने 33 में से 23 जिला पंचायत जीत ली। इसके चलते इस बार दोनों दल चुनाव परिणामों को लेकर आशंकित हैं। गत चुनाव में भाजपा ने अधिकतर जिलों में मत प्रतिशत में बढ़त हासिल की। इनमें अहमदाबाद, सूरत, भावनगर, वडोदरा और देवभूमि द्वारका में मतों का अंतर 14 से 25 फीसद का रहा। मुख्यमंत्री के गृह जिले राजकोट जिले में भाजपा नौ फीसद और उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल के गृह जिले मेहसाणा में 13 फीसद मतों से आगे रही थी। भाजपा अध्यक्ष जीतूभाई वाघाणी के जिले भावनगर में भाजपा 18 फीसद मत से आगे थी। कांग्रेस अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी के गृह जिले आणंद में अंतर 4.59 फीसद का रहा। सबसे कम अंतर पाटण व छोटा उदेपुर में .11 और पोरबंदर व गिर सोमनाथ में .5 फीसद का रहा।