इस साल कार्बेट में 13 बाघों की मौत से उड़ी सरकार की नींद
देहरादून : विश्व प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व में एक के बाद एक बाघों की मौत की घटनाओं ने राज्य सरकार की भी नींद उड़ा दी है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को बाघों की मौत की जांच के आदेश दिए हैं। उनसे कहा गया है कि कारणों की गहनता से पड़ताल की जाए, ताकि इसके निदान की दिशा में गंभीरतापूर्वक कदम उठाए जा सकें।
प्रदेश में राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण की दिशा में कार्बेट टाइगर रिजर्व की अहम भूमिका है। देशभर के टाइगर रिजर्व में सबसे अधिक बाघों का घनत्व कार्बेट में ही है। बावजूद इसके तस्वीर का दूसरा पहलू भी है और वह है बाघों की लगातार हो रही मौत। इस साल अब तक कार्बेट में 13 बाघों की जान जा चुकी है। इससे वन्यजीव प्रेमियों का चिंतित होना लाजिमी है। साथ ही यह सवाल भी उठ रहा कि आखिर बाघों की मौत की वजह क्या है।
इस सवाल ने सरकार को भी झकझोरा है। वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के अनुसार कार्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों के लगातार मरने की घटनाएं चिंताजनक हैं। ऐसे में उन कारणों का पता लगाया जाना आवश्यक है, जो इनकी मौत की वजह बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि पीसीसीएफ राजेंद्र कुमार महाजन और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीवीएस खाती को इसकी जांच कराने के आदेश दिए गए हैं।
डॉ. रावत के मुताबिक अधिकारियों से कहा गया है कि वे जल्द से जल्द सभी पहलुओं की गहनता से जांच कर आख्या प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि यदि कहीं कोई लापरवाही अथवा अन्य कोई बात सामने आती है तो ठोस एवं प्रभावी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।