शिक्षक दिवस: 28 शिक्षक हुए गवर्नर्स टीचर्स अवॉर्ड से सम्मानित
देहरादून : प्रदेश के 28 शिक्षकों को राज्यपाल केके पॉल ने गवर्नर्स टीचर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्यपाल डा. केके पॉल ने कहा कि आजकल अभिभावक इतने व्यस्त हैं कि बच्चों को समय नहीं दे पाते। ऐसे में शिक्षक की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। उन्होंने शिक्षकों से कहा कि सिर्फ किताब पढ़ाने वाले शिक्षक नहीं, ज्ञान देने वाला गुरु बनें। इस अवसर पर सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि गुरु और शिष्य की यह परंपरा भारत की शिक्षा व्यवस्था के मूल में है। आज शिक्षा का स्वरूप बदला है और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है।
शिक्षक दिवस पर राजभवन में गवर्नर्स टीचर्स अवार्ड समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान बेसिक और माध्यमिक स्तर के इस दौरान 28 शिक्षकों को राज्यपाल केके पॉल ने इस अवॉर्ड से नवाजा। सम्मानित होने वाले शिक्षकों में दो शिक्षक संस्कृत विद्यालय के हैं। राज्य के हर जिले से दो-दो शिक्षकों का पुरस्कार के लिए चयन किया गया। इस अवसर पर राज्यपाल पॉल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने अंग्रेजों को उनकी भाषा में भारत के गौरव से परिचित कराया। स्वामी विवेकानंद के बाद डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन महान दार्शनिक और शिक्षाविद थे, जिन्होंने भारत के गौरव को नई ऊंचाइयां प्रदान की। शिक्षा के स्तर को कैसे ऊपर उठाया जाए। विशेषकर सरकारी स्कूलों में इसपर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर छुट्टियों में टीचर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए जाने चाहिए। टीचर्स के लिए भी समर कैम्प लगाए जाएं। बच्चों के सवालों ओर जिज्ञासाओं को शांत कर उनके दिमाग को विकसित करें। ई लर्निंग का इस्तेमाल करने पर भी विचार किया जाए। वहीं राज्यपाल ने ब्लू व्हेल जैसे गेम के मुद्दे पर कहा कि इससे पता चलता है कि बच्चे के स्कूल और घर में कम्युनिकेशन की कमी है। टीचर्स को ऐसे मामलों पर नजर रखनी चाहिए।
वहीं सम्मान समारोह में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि संस्कृत एक सात्विक भाषा है। संस्कृत संस्कारों के प्रसार में सक्षम है। यह अच्छी बात है कि आज संस्कृत शिक्षकों को भी सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गुरु-शिष्य की परंपरा भारत की शिक्षा व्यवस्था के मूल में है।
सीएम का कहना है कि आज शिक्षा का स्वरूप बदला है और तकनीक का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन इस बदलाव के बीच एक शिक्षक की भूमिका भिन्न है। एक शिक्षक ही बच्चे का सर्वांगीण विकास करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का अर्थ किताबी ज्ञान से हटकर है।