सरकार के दावें आम आदमी की ले रहे जान
देहरादून, । सरकार के तमाम दावों और कोशिशों के बावजूद उत्तराखंड की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। जनपद रुद्रप्रयाग में सड़क पर एक मां के बच्चे को जन्म देने पर मजबूर होने वाली घटना को 24 घंटे से भी ज्यादा बीतने के बावजूद इस मामले के बारे में शासन को कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। हालांकि मुख्यमंत्री ने इस मामले में जांच करवाने का ऐलान किया है।राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास ही स्वास्थ्य विभाग भी है लेकिन राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत किसी से छुपी नहीं है। हालांकि मुख्यमंत्री बार-बार राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की बात करते हैं लेकिन राजधानी के दून अस्पताल में बाहर खुले में बच्चे का जन्म, फिर मौत और रुद्रप्रयाग जैसे मामले हकीकत को बयां करते ही रहते हैं। रुद्रप्रयाग में सड़क पर बच्चे के जन्म और मौत के मामले को मुख्यमंत्री ने दुखद बताया और मारे गए बच्चे के मां-बाप के प्रति सांत्वना जताई। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मामले की जांच की जाएगी और दोषी को सजा दिलवाई जाएगी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के सचिव नितेश झा इस मामले में कन्नी काटते दिखाई दे रहे हैं। इस शर्मनाक घटना के होने के 24 घंटे बाद तक उनके पास मामले से जुड़ी पर्याप्त जानकारी नहीं है। झा के अनुसार अब तक उन्हें यही पता चल पाया है कि गर्भ 24 माह का था और जब तक उसे रुद्रप्रयाग अस्पताल लाया जाता उसकी मौत हो गई थी। वह यह भी बताते हैं कि मां स्वस्थ है लेकिन ऐसा क्यों हो गया और इसके लिए जिम्मेदारी प्रथम दृष्टया किसकी नजर आ रही है जैसे सवालों के जवाब में वह कहते हैं अभी इतनी ही जानकारी है।