गैरसैंण विधानसभा सत्र, चार साल सुगम में रहे तो जाएंगे दुर्गम
गैरसैंण(चमोली) : विधानसभा में गुरुवार को स्थानांतरण विधेयक पारित होने के साथ ही कार्मिकों के तबादलों में सियासतदां व रसूखदारों का हस्तक्षेप खत्म होने का रास्ता साफ हो गया। साथ ही दुर्गम में लंबे अरसे से कार्यरत कार्मिकों को राहत मिलना तय हो गया है। अब सुगम में चार वर्ष या उससे अधिक अवधि से तैनात कार्मिक को दुर्गम में अनिवार्य रूप से जाना होगा। वहीं दुर्गम क्षेत्र में तीन वर्ष या उससे अधिक समय से तैनात कार्मिकों को अनिवार्य रूप से सुगम में लाया जाएगा। दुर्गम क्षेत्र में दस वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वालों को यह राहत अनिवार्य रूप से दी जाएगी। दुर्गम और सुगम कार्यस्थलों के निर्धारण का अधिकार प्रत्येक विभागाध्यक्ष या कार्यालयाध्यक्ष को दिया गया है। शासन, विभागाध्यक्ष, मंडल, जिले से लेकर प्रत्येक विभाग स्तर पर स्थायी स्थानांतरण समितियां गठित की जाएंगी। खास बात ये भी है कि तबादलों के लिए सिफारिश या दबाव बनाने वाले कार्मिकों पर कार्रवाई होगी। यही नहीं स्थानांतरण एक्ट को लागू करने में असफल रहने या उल्लंघन की स्थिति में अधिकारी भी दंडित किए जाएंगे। पहली पदोन्नति व दूसरी पदोन्नति में भी दुर्गम में जाना होगा।
प्रवर समिति में संशोधन के बाद उत्तराखंड लोकसेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण विधेयक के कई सख्त प्रावधानों को ढीला किया गया है। सुगम और दुर्गम कार्यस्थलों के चिह्नीकरण के अधिकार की केंद्रीयकृत व्यवस्था की जगह अब हर विभागाध्यक्ष और कार्यालयाध्यक्ष को यह जिम्मा सौंपा गया है। इन स्थलों को राज्य सरकार की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा। वार्षिक स्थानांतरण तीन प्रकार के होंगे। इनमें सुगम से दुर्गम और दुर्गम से सुगम में अनिवार्य और अनुरोध के आधार पर स्थानांतरण किए जाएंगे। कार्मिकों की पद स्थापना के लिए तीन श्रेणियां तय की गई हैं। इनमें जिला मुख्यालय से ग्राम स्तर तक तैनाती, मंडल स्तर तक तैनाती और राज्यस्तरीय पदस्थाना शासन और विभागाध्यक्ष की ओर से की जाती है।
सुगम में मौजूदा तैनाती स्थल पर चार वर्ष और सुगम में कुल दस वर्ष या अधिक सेवा अवधि पूरी करने वाले कार्मिक को अनिवार्य रूप से दुर्गम में भेजा जाएगा। तबादलों के पात्र कार्मिकों की सूची तैयार की जाएगी। दुर्गम में कार्य की अवधि को वास्तविक रूप से दुर्गम में कार्यरत रहने के आधार पर आकलित किया जाएगा। सुगम स्थान पर संबद्ध रहने या संबद्धता अवधि या एक वर्ष में एक माह से अधिक अवधि के लिए अवकाश पर रहा हो तो इस अवधि को दुर्गम स्थान की तैनाती अवधि में सम्मिलित नहीं किया जाएगा। सुगम से दुर्गम और दुर्गम से सुगम में स्थानांतरण रिक्त पदों की संख्या तक किए जाएंगे।
इन कार्मिकों को अनिवार्य तबादले से रहेगी छूट
दुर्गम क्षेत्र में न्यूनतम दस वर्ष की सेवा पूरी कर चुके हैं। गंभीर रूप से रोगग्रस्त व विकलांगता की श्रेणी में आने वाले कार्मिक जो सक्षम प्राधिकारी का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करेंगे। ऐसे पति-पत्नी जिनका इकलौता पुत्र या पुत्री विकलांगता की श्रेणी में हो। सैनिक व अद्र्ध सैनिक बलों में तैनात कार्मिकों की पति-पत्नी।
तबादला विधेयक के प्रमुख बिंदु:
-दुर्गम में दस वर्ष पूरे करने वालों को राहत, सुगम में अनिवार्य तबादला
-10 जून तक होंगे तबादला आदेश, दस दिन में करना होगा ज्वाइन
-विभागाध्यक्ष-कार्यालयाध्यक्ष करेंगे सुगम-दुर्गम कार्यस्थल चिहिनत
-शासन, जिले से लेकर विभाग स्तर पर गठित होंगी स्थायी स्थानांतरण समितियां
-स्थानांतरण अधिनियम लागू करने में विफल रहने पर अधिकारी भी होंगे दंडित