नक्सली इलाकों में विकास की बयार की तैयारी में सरकार
नई दिल्ली। नक्सलियों का मनोबल तोड़ने के बाद सरकार नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास योजनाओं की गति तेज करने की तैयारी में जुटी है। इसके लिए गृहमंत्रालय के अधिकारियों को योजनाओं से जुड़े दूसरे मंत्रालयों व राज्य सरकारों के साथ लगातार संपर्क में रहने को कहा गया है। सरकार का मानना है कि इन इलाकों में विकास के बिना नक्सलियों के दोबारा पैर जमाने का खतरा बना रहेगा।
नक्सल प्रबंधन विभाग से जुड़े गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2016 और 2017 नक्सलियों के लिए सबसे घातक साबित हुआ है। नक्सलियों को मनोबल इतना गिरा हुआ है कि न तो वे जन अदालत लगा पा रहे हैं और न ही नए कैडर के लिए ट्रेनिंग कैंप। दूसरी ओर, नक्सलियों के मौजूदा कैडर बड़ी संख्या में या तो सरेंडर कर रहे हैं या फिर पकड़े जा रहे हैं। मुठभेड़ों में मारे जाने वाले नक्सलियों की संख्या बढ़ी है, सो अलग से। पिछले साल 1840 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया था और 1442 ने सरेंडर किया था। इस साल भी 15 नवंबर तक 1613 नक्सली गिरफ्तार हो चुके हैं और 623 सरेंडर कर चुके हैं। खुद नक्सलियों ने भी माना है कि सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया है।
गृहमंत्रालय का मानना है कि सुरक्षा बलों ने बखूबी अपना काम कर दिखाया है। उनकी बढ़त को स्थायी बनाए रखने के लिए उन इलाकों में विकास योजनाओं को तेजी से लागू किया जाना चाहिए। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नक्सली इलाकों के विकास के लिए किसी नई योजना की जरूरत नहीं है, बल्कि पुरानी योजनाएं ही ठीक से लागू हो जाएं तो इन इलाकों का कायाकल्प हो सकता है। अभी तक नक्सलियों के विरोध के कारण न सड़क बन पा रही थी, न तो अस्पताल और न ही स्कूल। इन इलाकों में सरकारी कर्मचारियों का नामोनिशान तक नहीं था। अब राज्य सरकारों और केंद्र के संबंधित मंत्रालय को अपनी-अपनी योजनाएं तेजी से पूरा करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि सड़क परिवहन मंत्रालय की कई योजनाएं नक्सलियों को विरोध के कारण सालों से लटकी हैं। अब उन्हें इन पर तत्काल काम शुरू करने को कहा गया है।
इसी तरह राज्य सरकारों को इन इलाकों में स्कूल, अस्पताल और अन्य प्रशासनिक कार्यालय जल्द-से-जल्द शुरू करने को कहा गया है। ताकि नक्सली प्रभाव के कारण योजनाओं के लाभ से वंचित लोगों को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। योजनाओं को लागू करने में आ रही प्रशासनिक दिक्कतों को दूर करने के लिए गृहमंत्री राजनाथ सिंह जल्द ही नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुला सकते हैं। अभी तक ऐसी बैठकों का मुख्य जोड़ नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन की रणनीति पर होता था। लेकिन इस बार बैठक विकास का एजेंडा सबसे ऊपर होगा।