एनजीटी की सख्ती, गंगा किनारे राफ्टिंग-कैंपिंग पर रहेगी सरकार की नजर

देहरादून : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती ने आखिरकार गंगा के किनारे के क्षेत्रों में राफ्टिंग और बीच कैंपिंग पर सरकार को नजर रखने के लिए मजबूर कर दिया। इस वजह से हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण की सीमा में अब ऋषिकेश से ऊपर कौड़ियाला तक तकरीबन 40 किमी पर्वतीय क्षेत्र को शामिल किया गया है। मंत्रिमंडल ने बुधवार को यह फैसला लिया।

एनजीटी गंगा के किनारे के क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को नियंत्रित करने को लगातार दबाव बनाए हुए है। ऋषिकेश-देवप्रयाग के बीच कौड़ियाला तक रिवर राफ्टिंग और बीच कैंपिंग के कई क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र में अब पर्यटन गतिविधियों को नियंत्रित किया जाएगा। इसके लिए हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण के दायरे को बढ़ाकर एनएच-58 के मध्य स्थित टिहरी जिले की नरेंद्रनगर तहसील के नौ गांवों को शामिल किया गया है। ऋषिकेश से कौड़ियाला तक राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर एक किमी के क्षेत्र को लिया गया है। इससे टिहरी जिले के साथ ही पौड़ी जिले के हिस्से भी नए प्राधिकरण का हिस्सा होंगे। अब प्राधिकरण के जरिए उक्त क्षेत्र की निगरानी की जाएगी।

पीसीएस को दिया एसीईओ का पद

टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण को सक्रिय करने के लिए 24 पदों को मंत्रिमंडल ने हरी झंडी दिखाई है। प्राधिकरण के ढांचे में मुख्य कार्यपालक अधिकारी का एक पद है। डीएम टिहरी इसके पदेन मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) होंगे। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) का एक पद प्रतिनियुक्ति का है। इस पद पर पीसीएस की तैनाती होगी।

इसके साथ लेखाकार, सहायक लेखाकार, सहायक नगर नियोजन अधिकारी, सहायक अभियंता (सिविल), कनिष्ठ अभियंता (सिविल), कनिष्ठ अभियंता (ई एंड एम), ड्राफ्टमैन, वैयक्तिक सहायक, वरिष्ठ सहायक के एक-एक पद, कनिष्ठ सहायक सह डाटा इंट्री ऑपरेटर के दो पद, अनुसेवक के चार पद, जलक्रीड़ा निरीक्षक व नाविक-बोट टेक्निशियन के एक-एक पद, लाइफ गार्ड के चार व सर्वेयर बोट का एक पद को मंजूरी मिली है।

निदेशक पद पर श्रेष्ठता से प्रोन्नति  

उद्योग महकमे में समूह-क के वरिष्ठ अधिकारियों के पदों पर प्रोन्नति के लिए पात्रता तय की गई है। इसके लिए उत्तराखंड उद्योग (ज्येष्ठ समूह-क) सेवा नियमावली, 2017 को मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दी है। इसमें निदेशक का एक पद, जबकि अपर निदेशक व संयुक्त निदेशक के दो-दो पद ढांचे में रखे गए हैं। नियमावली में निदेशक पद पर पदोन्नति के लिए अपर निदेशक के पद पर तीन साल सेवा का अनुभव और अपर निदेशक के पद पर संयुक्त निदेशक पद पर चार साल सेवा का अनुभव होना चाहिए। निदेशक व अपर निदेशक पदों पर प्रोन्नति ज्येष्ठता के बजाए श्रेष्ठता के आधार पर होगी। वहीं संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्नति के लिए उप निदेशक पद पर 10 वर्ष की सेवा का अनुभव आवश्यक होगा। संयुक्त निदेशक पद पर पदोन्नति का आधार ज्येष्ठता होगा।

 ऑडिट आपत्ति के अंदेशे से सतर्कता

राज्य खाद्य योजना के 45 लाख परिवारों को सस्ता गेहूं व चावल पहले अप्रैल माह से देने का निर्णय लिया गया था, लेकिन योजना को क्रियान्वित करने में ज्यादा वक्त लग गया। सरकार इस खाद्यान्न को मई माह से मुहैया करा पाई। इस बीच सरकार ने उक्त योजना के खाद्यान्न की दरें भी परिवर्तित की हैं। लिहाजा इन दरों को अप्रैल के बजाए मई, 2017 से लागू किया जाएगा। तकनीकी दिक्कतें पेश आने के अंदेशे के चलते सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है। इससे ऑडिट आपत्ति लगने का खतरा भी उत्पन्न हो गया था।

पुरानी इकाइयों का दोबारा पंजीकरण नहीं

उत्तराखंड विधानसभा सराय अधिनियम, 1867 को निरसित करने और उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद से सार्वजनिक सरायों व पड़ावों का विनियमन करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजेगी। केंद्र ने उक्त अधिनियम निरस्त करने को कहा है। दरअसल, उत्तराखंड पर्यटन एवं यात्रा व्यवसाय पंजीकरण नियमावली, 2014 अस्तित्व में आ चुकी है। इसके बाद मंत्रिमंडल ने उक्त अधिनियम निरस्त करने पर मुहर लगा दी, लेकिन यह फैसला भी लिया कि पर्यटन विकास परिषद अपनी नियमावली में संशोधन करेगा। संशोधन के जरिए सराय एक्ट में पहले पंजीकृत इकाइयों की मान्यता को यथावत रखा जाएगा।

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