सड़क के अभाव में चली गई प्रसूता की जान
कीर्तिनगर (टिहरी) : सड़क नहीं होने की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है इसका जीता जागता सबूत प्रखंड के राड़ागाड़ गांव के अनिल सिंह बने हैं। जिनकी पत्नी ने प्रसव के बाद तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाते समय आधे रास्ते में दम तोड़ दिया।
घटना सुदूर राड़ागाड़ गांव की है जहां के ग्रामीणों को सात किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है।
शनिवार रात को गांव के अनिल सिंह की पत्नी 28 वर्षीय उषा ने प्रसव पीड़ा बताई और रविवार सुबह आठ बजे के लगभग पुत्र को जन्म दे दिया। लेकिन पुत्र को जन्म देने के बाद तबीयत बिगड़ने लगी। कुछ देर इंतजार करने के बाद भी जब तबीयत नहीं सुधरी तो ग्रामीण श्रीनगर अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन महिला ने पैदल मार्ग वीरखाल में ही दम तोड़ दिया।
इस घटना से जहां गांव में शोक की लहर है वहीं आक्रोश का माहौल भी बनने लगा है। लोगों का आरोप है कि स्वास्थ्य और सड़क सुविधा नहीं होने के कारण यह दर्दनाक मौत हुई है। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता विजय सिंह का कहना है कि गांव के लोग पिछले कई दशकों से सड़क की सुविधा की मांग करते आए हैं लेकिन सड़क की मांग से जुड़े उनका हर आवेदन और निवेदन रद्दी की टोकरी की भेंट चढ़ जाते है।
यही कारण है कि गांव में गाहे बगाहे ऐसी घटनाएं होती रही हैं। अन्य ग्रामीणों का कहना है कि सड़क सुविधा नहीं होने के कारण लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है। नतीजन रोग ग्रस्त लोग असमय काल का ग्रास बन जाते हैं। इसकी गवाही 28 वर्षीय उषा देवी की मौत देती है। इससे पूर्व उषा की तीन और छह वर्षीय बेटियां हैं। नवजात शिशु फिलहाल स्वस्थ बताया जा रहा है। सीएचसी के डॉ. रविंद्र राणा और डॉ. विनय शर्मा शिशु का स्वास्थ्य परीक्षण करने राड़ागाड़ गए हैं।