गांधीजी ने कौसानी में बुना था आजाद भारत का सपना

बागेश्वर । महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन की गुलामी से आजादी के लिए ही अलख जगाने के साथ ही आजाद भारत के नव निर्माण की भी आधारशिला कौसानी में रखी थी। आज भी बापू के विचारों को आत्मसात कर यहां उनके सपने को साकार किया जा रहा है।महात्मा गांधी कुमांऊ की काशी बागेश्वर में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ हुए कुली बेगार आंदोलन से खासे प्रभावित थे। इसी कारण वह 1929 में पैदल यहां तक पहुंचे। बागेश्वर में दो दिन और कौसानी में वह नौ दिन रुके। कौसानी में उन्होंने भगवत गीता पर टीका अनासक्ति योग की प्रस्तावना लिखी। महात्मा ने यहां महिला शिक्षा पर जोर दिया, कृष्ठ रोगियों की सेवा की, नई शिक्षा, स्वच्छता, मद्य निषेध, पर्यावरण संरक्षण कुटीर उद्योग का भी पाठ पढ़ाया। छुआछूत को खत्म करने का भी उन्होंने लोगों को संकल्प दिलाया। आज तक लोग उनके विचारों को मान रहे हैं। महिला शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता पर विशेष कार्य हुए। उन्हीं के विचारों का प्रभाव था कि शराब माफिया के जोर के बाद भी यहां शराब की दुकान नहीं खुल पाई। छुआछूत जैसी व्याप्त कुरीति पर प्रहार हुआ है।

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