अटल से लेकर सुषमा तक, 1 बरस में बीजेपी ने खोए अपने कई अनमोल रत्न
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जिसका राजनीतिक सिक्का पूरे देश में चल रहा है। मोदी-शाह की सुपरहिट जोड़ी देशभर में ऐसे दौड़ रही है जिसने बीजेपी को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है। साल 2019 में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से एक बार मोदी सरकार बनाई और वर्तमान दौर को बीजेपी का स्वर्णिम काल कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। बीते एक बरस में भारत की सबसे बड़ी पार्टी ने कामयाबी के कितने मुकाम हासिल किए हैं लेकिन कुछ राजनेता जिन्हें राजनीति से इतर स्वभाव, विनम्रता और व्यवहार की वजह से लोगों में अमिट छाप छोड़े जाने के लिए जाना जाता था, उन्होंने बीजेपी के साथ ही दुनिया का भी साथ छोड़ दिया। पिछले एक बरस में अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर आज तिरंगे में लिपटकर दुनिया से पार गईं सुषमा स्वराज तक बीजेपी ने अपने कई दिग्गज नेताओं को खोया है। आइए डालते हैं कुछ राजनीति के सितारों पर नजर जिन्होंने चुनावी फतह के साथ लोगों के दिलों को भी जीतने का काम किया। हाजिरजवाब, प्रखर कवि, ओजस्वी वक्ता, कुशल राजनेता ये सारे विशेषण अटल बिहारी वाजपेयी की आज़ाद शख्सियत को बांधने में नाकाफी साबित होंगे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक राजनेता के तौर पर जितने सराहे गए हैं, उतना ही प्यार उनकी कविताओं को भी मिला है। उनकी कई कविताएं उनके व्यक्तित्व की परिचायक बन गईं तो उनेक भाषणों ने जीवन को देखने के विजन से दुनिया को रूबरू कराया। लंबे वक्त से बीमार चल रहे अटल को जब लाइफ सपॉर्ट पर रखा गया तो देश-दुनिया में उन्हें मानने वाले लोगों के मन में अपने चहेते राजनेता की चिंता घर कर गई। लेकिन उस वक्त तक सक्रिय राजनीति से दूर बोल पाने में भी असमर्थ अटल अगर अभिव्यक्त कर पाने की स्थिति में होते तो शायद कविता के माध्यम से खुद ही सबको ढांढस बंधाने की कोशिश करते, जैसा कि वो पार्टी और देश के लिए अक्सर किया करता थे। गुर्दा (किडनी) नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण आदि के बाद 11 जून 2019 को एम्स में भर्ती कराए जाने के करीब दो महीने बाद 16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया। अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण वे चार दशकों से भी अधिक समय से भारतीय संसद के सदस्य रहे। इसके अलावा वह तीन बार भारत के प्रधानमंत्री पद पर भी सुशोभित हुए। बीजेपी नेता जिसने पहले अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृतव वाली सरकार में फिर नरेंद्र मोदी के नेतृ्तव वाली सरकार में मंत्री पद संभाला। कर्नाटक के बेंगलुरु साउथ से सांसद रहे अनंत कुमार के रूप में भी भाजपा ने एक राजनीतिक धरोहर को खो दिया। कई बार सांसद रहे अनंत कुमार का 12 नवंबर 2018 को निधन हो गया। कुमार उन अगली पीढ़ी के नेताओं में से थे जिन्हें लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी और सरकार में एक बड़ी भूमिका के लिए तैयार किया था। वह कैंसर से जूझ रहे थे।हाफ स्लीव शर्ट और पैरों में सैंडल डाले संसद पहुंचने वाले राजनेता मनोहर पर्रिकर के रूप में भाजपा ने एक क्षति झेली। जिन्हें स्कूटर पर पीछे बैठने से भी गुरेज नहीं था। विपक्षी भी उनकी सादगी के कायल थे। 17 मार्च 2019 को कैंसर के कारण उनका निधन हो गया था। कैंसर की वजह से मनोहर पर्रिकर के निधन से देश ने केवल एक पूर्व रक्षामंत्री और गोवा का मुख्यमंत्री ही नहीं गंवाया, बल्कि सादगी से भरा हुआ एक राजनेता गंवा दिया जो सच्चे मायनों में आम आदमी था। मनोहर पर्रिकर ने चार बार गोवा के मुख्यमंत्री रहने के साथ ही मोदी सरकार में रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाली थी।