देवों के देव महादेव की चौखट पर जाकर हरीश खेलेंगे नया दांव
देहरादून : मंदिर-मंदिर घूमकर भगवान के दर्शन कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अब देवों के देव महादेव के धाम केदारनाथ जाएंगे। खास बात ये है कि वह केदारनाथ दर्शन के लिए पैदल ही दुर्गम रास्ता नापेंगे। सॉफ्ट हिंदुत्व को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की राह पर कदमताल कर रहे रावत अपने इस कदम के जरिये सरकार पर हार्ड हिटिंग की तैयारी में हैं तो हाईकमान के लिए भी तकरीबन साफ संदेश है कि आम चुनाव में उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ में नई केदारपुरी के निर्माण कार्यों का शिलान्यास कर चुके हैं, ऐसे में केदारनाथ जाने और वहां बीते एक साल में राज्य सरकार की ओर से कराए गए कार्यों का जायजा लेने की बात उछालकर रावत एक तीर से कई निशाने साधने में जुट गए हैं।
मोदी लहर ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सियासी अरमानों पर भले ही पानी फेर दिया हो, लेकिन संघर्षों के बूते आगे बढऩे के मामले में अलग पहचान कायम कर चुके रावत अब पार्टी के भीतर और बाहर यह जताने में शिद्दत से जुटे हैं कि वह आसानी से मैदान छोड़ने वाले नहीं हैं। सूबे की सियासत पर अपनी पकड़ बनाए रखने और उसे साबित करने की जद्दोजहद में रावत उम्र को हावी होने देना तो दूर, अपनी सक्रियता से विरोधियों के साथ ही समर्थकों को भी चौंकाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
अपनी फेसबुक वाल में केदारनाथ धाम पैदल जाने का एलान करने के पीछे उनका यही मकसद बताया जा रहा है। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में भी केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा के जरिये वह पार्टी में अपने विरोधियों को संदेश दे चुके हैं।
आम चुनाव के लिए है यह संदेश
एक बार फिर अपने इस अंदाज को दोहराकर रावत यह जवाब भी देना चाहते हैं कि उम्रदराज बताकर उन्हें सूबे की सियासत में हाशिए पर धकेलना आसान नहीं है। केदारनाथ के उनके प्रस्तावित दौरे को प्रदेश में पार्टी दिग्गजों के साथ ही हाईकमान के लिए उनके संदेश के तौर पर देखा जा रहा है।
विधानसभा चुनाव में नमो लहर में करारी शिकस्त मिलने के बाद रावत यह भी बखूबी जानते हैं कि आम चुनाव को लेकर उनकी राह आसान नहीं है। किसी भी पसंदीदा लोकसभा सीट पर उनकी दावेदारी को पार्टी में अब हाथोंहाथ लेना शायद ही मुमकिन हो।
केंद्र व राज्य सरकारें निशाने पर
लिहाजा कांग्रेस के नए अध्यक्ष राहुल गांधी के सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर रुझान को उत्तराखंड में अमल में लाने में रावत ने प्रदेश के अन्य किसी भी नेता की तुलना में देर नहीं लगाई। दून समेत विभिन्न स्थानों पर मंदिरों में घूमने के बाद एकाएक उन्होंने केदारनाथ पैदल जाने की घोषणा कर दी।
यह भी कहा कि पैदल जाने में भले ही दो दिन लग जाएं, लेकिन वह जाएंगे। हालांकि, उन्होंने केदारनाथ पैदल यात्रा की तारीखों का एलान नहीं किया है। उन्होंने यह कहने में देर नहीं की कि वह बीते एक साल में केदारनाथ में हुए कार्यों को परखेंगे।