कुमाऊं में डेंगू से पहली मौत, दून में मरीजों का सैकड़ा पार
देहरादून : उत्तराखंड में डेंगू व स्वाइन फ्लू के मामलों में कमी नहीं आ रही है। मानसून की विदाई के साथ डेंगू का मच्छर व स्वाइन फ्लू का वायरस अधिक सक्रिय दिख रहा है। देहरादून में डेंगूं के मरीजों की संख्या सौ सौ पार कर गई है। वहीं, कुमाऊं के हल्द्वानी में एक मरीज की डेंगू से मौत हो गई। कुमाऊं में डेंगू से इस साल यह पहली मौत है।
देहरादून में 24 और मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। साथ ही स्वाइन फ्लू के भी चार नए मामले सामने आए हैं। हरिद्वार के बाद अब डेंगू का मच्छर दून में भी कहर बरपा रहा है। जनपद देहरादून में डेंगू पीड़ितों की संख्या बढ़कर 118 पहुंच गई है। जिनमें दून के 57 मरीज शामिल हैं।
इसके अलावा हरिद्वार से 45 मरीज यहां इलाज कराने पहुंचे हैं। साथ ही टिहरी से दो, चमोली व रुद्रप्रयाग से एक-एक व उप्र के रहने वाले 12 मरीज यहां उपचार के लिए आए हैं। इधर, स्वाइन फ्लू का प्रकोप भी थम नहीं रहा है। प्राप्त रिपोर्ट में चार और मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इस तरह स्वाइन फ्लू मरीजों की संख्या बढ़कर 162 हो गई है। स्वाइन फ्लू से अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है।
जुलाई, अगस्त व सितंबर में स्वाइन फ्लू का प्रकोप ज्यादा रहा। जुलाई में 35, अगस्त में 76 और सितंबर में अब तक 35 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। 19 संदिग्ध मरीजों की जांच रिपोर्ट आनी अभी बाकी है।
कुल मिलाकर डेंगू के मच्छर के खात्मे व स्वाइन फ्लू के वायरस से निपटने के सरकारी तंत्र के प्रयास धरे रह गए हैं। शायद यही वजह है कि डेंगू का मच्छर लगातार पनप रहा है और स्वाइन फ्लू का असर भी बरकरार है।
डेंगू बुखार से कुमाऊं में पहली मौत
हल्द्वानी में डेंगू बुखार का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। शहर के बरेली रोड निवासी 45 वर्षीय कामिल की डेंगू बुखार से मौत हो गई है। वह कई दिनों से बीमारी से ग्रस्त थे। परिजनों ने कामिल को पहले एक निजी चिकित्सालय में दिखाया। बाद में वह बृजलाल अस्पताल में ले गए। वहां पर पहुंचने तक मरीज की हालात गंभीर थी।
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. अमरपाल सिंह ने बताया कि मरीज के 22 हजार प्लेटलेट्स थे। डेंगू बुखार हेमरेजेजिक स्थिति में पहुंच गया था। न्यूरोसर्जन डॉ. चारू वर्मा भी उपचार कर रहे थे। डॉ. वर्मा ने कहा कि मरीज को बचाने का प्रयास किया, लेकिन वह बच नहीं सका।
हालांकि, स्वास्थ्य विभाग इस मामले में अभी असमंजस की स्थिति में है। इधर, डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में भी मरीजों के पहुंचने का सिलसिला नहीं थम रहा है।