फर्स्ट डे फर्स्ट शोः झमाझम बरसात के बावजूद दर्शकों को न तो एक्शन और न ही इमोशंस से भिगो सकी ‘भूमि’
नई दिल्ली: जिस तरह आज दिल्ली में झमाझम बारिश हो रही है, उसी तरह आज बॉक्स ऑफिस पर भी चार फिल्मों की बारिश हुई है. तीन फिल्में बॉलीवुड की और एक फिल्म हॉलीवुड की. मैं ‘भूमि’ का पहले दिन पहला शो देखने पहुंचा था. हॉल के बाहर से नजारा कुछ मजबूत ‘भूमि’ का इशारा नहीं दे रहा था. दर्शकों की संख्या काफी कम थी. जब अंदर जाकर देखा तो संजय दत्त की कमबैक फिल्म होने के बावजूद हॉल में ऑक्युपेंसी सिर्फ 20-25 प्रतिशत ही दिखी. ‘भूमि’ का जिस तरह का ट्रेलर देखने को मिला था, उससे लगता था कि यह एक पॉवरफुल रिवेंज ड्रामा होगी. लेकिन हॉल के अंदर का नजारा देखने के बाद ही दिमाग में खटकने लगा था कि शायद दर्शक फिल्म को लेकर ज्यादा एक्साइटेड नहीं हैं.
रिवेंज ड्रामा और एक्शन की उम्मीद लगाए दर्शकों को हाफ टाइम तक कोई भी ऐसा मूमेंट नहीं मिला जिसमें वे सीटी मार पाते. हालांकि दर्शकों ने शेखर सुमन के हल्के फुल्के संवादों पर हंसने की कोशिश की. शरद केलकर के डायलॉग्स को लेकर एक दो बार जरूर हॉल में थोड़ी सुगबुगाहट हुई. गैंग रेप जैसे विषय पर फिल्म थी. दर्शक जबरदस्त रिवेंज देखना चाहते थे. लग रहा था कि इंटरवेल के बाद संजय दत्त फॉर्म में लौटेंगे. लेकिन डायरेक्टर शायद इस बात को भांप नहीं पाए, और बहुत आखिर में जाकर उन्होंने संजय का सही इस्तेमाल किया. वह भी आधा-अधूरा. बेटी के रेप का बदला लेने का जो तरीका फिल्म में दिखाया गया वह भी बांधने वाला नहीं था. धीमा और उलझा के रख देने वाला था. रिवेंज ड्रामा में भी फ्लो नहीं आ सका.
फिल्म देखकर बाहर निकले दर्शकों के चेहरे पर निराशा थी, और सिर्फ यही बात जुबान पर थी कि फिल्म बढ़िया नहीं है लेकिन संजय दत्त जबरदस्त हैं. एक दर्शक ने तो यहां तक कह दिया कि लगता है फिल्म को जल्दबाजी में बनाया गया है. वाकई उनका कहना सही भी था क्योंकि संजय दत्त सिल्वरस्क्रीन पर काफी भव्य लगते हैं, और उनकी स्क्रीन प्रेजेंस भी जबरदस्त है. इसके बावजूद ओमंग कुमार इस बात को नहीं समझ सके. बाहर होती दिल्ली की झमाझम बारिश के बीच बाहर निकले दर्शक न तो फिल्म के इमोशनल ड्रामा से भीगे थे और न संजय के एक्शन से.