देवभूमि उत्तराखण्ड फिल्मों की शूटिंग के लिए तेजी से बन रहा प्रमुख गंतव्य : चंदोला
गोवा/देहरादून, । देवभूमि उत्तराखण्ड फिल्मों की शूटिंग के लिए तेजी से एक प्रमुख गंतव्य बन रहा है। राज्य सरकार इस दिशा में फिल्म जगत की हस्तियों को पूरा सहयोग देने के साथ-साथ अनेक सुविधाएं भी दे रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड फिल्मों की शूटिंग की दिशा में देश का प्रमुख केन्द्र बन रहा है। यह बात अपर निदेशक सूचना एवं अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अनिल चन्दोला ने गोवा में सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के उपक्रम नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कारपोरेशन (एन.एफ.डी.सी.) द्वारा आयोजित कराये जा रहे फिल्म बाजार के अवसर पर आयोजित कार्यशाला में कही। गोवा/देहरादून, । देवभूमि उत्तराखण्ड फिल्मों की शूटिंग के लिए तेजी से एक प्रमुख गंतव्य बन रहा है। राज्य सरकार इस दिशा में फिल्म जगत की हस्तियों को पूरा सहयोग देने के साथ-साथ अनेक सुविधाएं भी दे रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के मार्गदर्शन में उत्तराखण्ड फिल्मों की शूटिंग की दिशा में देश का प्रमुख केन्द्र बन रहा है। यह बात अपर निदेशक सूचना एवं अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अनिल चन्दोला ने गोवा में सूचना प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के उपक्रम नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कारपोरेशन (एन.एफ.डी.सी.) द्वारा आयोजित कराये जा रहे फिल्म बाजार के अवसर पर आयोजित कार्यशाला में कही। उल्लेखनीय है कि गोवा में चल रहे फिल्म बाजार-2018 के अवसर पर गुरूवार को उत्तराखण्ड राज्य में फिल्म शूटिंग हेतु दी जा रही सुविधाआें पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें देश-विदेश के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता/निर्देशक एवं 11 राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। फिल्म बाजार-2018 का गोवा में 20 से 24 नवम्बर तक आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए डॉ.चन्दोला द्वारा प्रस्तुतिकरण के माध्यम से उत्तराखण्ड फिल्म नीति के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा सिंगल विंडो के तहत फिल्मों की शूटिंग के लिए अनुमति प्रदान की जा रही है। फिल्मों की शूटिंग के लिए लिये जाने वाला शूटिंग शुल्क भी समाप्त कर दिया गया है। उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद को और अधिक क्रियाशील किया जा रहा है। प्रदेश के प्राकृतिक एवं सुरम्य स्थलांं को शूटिंग के लिए चिन्ह्ति किया जा रहा है। राज्य में नये शूटिंग स्थलों की तलाश कर डाटा संकलित किया जा रहा है। डॉ.चन्दोला ने कहा कि फिल्म निर्माता/निर्देशको के लिए उत्तराखण्ड पहली पंसद रहा है। हर्षिल, ऋषिकेश, हरिद्वार, नैनीताल में राज्य गठन से पहले भी काफी बड़े बैनरों की फिल्मों की शूटिंग हुई है।कार्यशाला में फिल्म निर्माता/निर्देशको द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए उप निदेशक सूचना/नोडल अधिकारी उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद श्री के.एस.चौहान ने बताया कि राज्य में फिल्म नीति लागू की गई। जिसमें फिल्म उद्योग के लिए कई आकर्षक सुविधाएं देने की व्यवस्था की गई है। फिल्म नीति-2015 के लागू होने के बाद से अब तक लगभग 150 फिल्मों, टी.वी. सीरियल, डाक्यूमेंट्री की शूटिंग के लिए अनुमति प्रदान की गई है। जिसमें बड़े बैनरों की फिल्में व सीरियल भी शामिल है। श्री चौहान ने एन.एफ.डी.सी. के अधिकारियों से अनुरोध किया कि उत्तराखण्ड में स्थापित भारत सरकार के कार्यालयों को भी भारत सरकार के स्तर पर दिशा-निर्देश जारी किये जाने चाहिए, ताकि उन स्थानों पर भी शूटिंग की अनुमति देने में सुविधा हो सके। फिल्म एण्ड टेलीविजन प्रोडयूसर गिल्ड ऑफ इंडिया एवं मुंबई के सी.ई.ओ. कुलमीत मक्कड़, इंडियन मोशन पिक्चर एसोसियेशन मुंबई के प्रबंध निदेशक उदय सिंह ने भी कार्यशाला को सम्बोधित किया। साथ ही उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा लागू की गई फिल्म नीति की सराहना भी की व अन्य राज्यां से भी इसी प्रकार के प्रयास करने का आह्वान किया। इस अवसर पर इंडियन मोशन पिक्चर एसोसियेशन मुंबई के निदेशक लोहिता सुजीत, फिल्म फैसिलेशन ऑफिस के प्रमुख विक्रमाजीत रॉय ने भी सम्बोधित किया। कार्यशाला का संचालन कविता सैनी द्वारा किया गया।