15 साल लंबी लड़ाई के बाद डीयू प्रोफेसर को मिला न्याय, हटा यौन उत्पीड़न का दाग

नई दिल्ली । हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पोस्ट ग्रेजुएट विभाग ईवनिंग स्टडीज के प्रमुख प्रोफेसर को 15 साल पुराने यौन शोषण के मामले में बरी कर दिया है। प्रोफेसर एसपी नारंग पर विभाग में ही काम करने वाली दो महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीयू की कार्यकारी परिषद ने वर्ष 2002 में सेवानिवृति से दो साल पहले ही प्रोफेसर को निकाल दिया था। उन्हें सेवानिवृति के लाभ से भी वंचित रखा गया।

15 साल लंबी लड़ाई

प्रोफेसर नारंग ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी और 15 साल लंबी लड़ाई के बाद 31 जुलाई को उन्हें जीत हासिल हुई। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्रोफेसर पर महज परेशान करने का आरोप लगा था, जिसका यह कतई मतलब नहीं है कि उन्होंने यौन शोषण किया। यह शिकायत महज डांटने की थी। डीयू ने जांच के लिए कोई कायदे कानून तय नहीं किए हैं।

बचाव का मौका नहीं दिया गया

हाई कोर्ट ने माना की पीड़ित प्रोफेसर को उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में डीयू ने फैसला तो सुना दिया, लेकिन उन्हें अपने बचाव का मौका नहीं दिया गया। प्रोफेसर को उनके खिलाफ आरोपों के संबंध में आरोप पत्र तक नहीं दिया गया। ऐसे में वर्ष 2002 के फैसले का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

काम न करने पर अक्सर दोनों को डांटते थे

हाई कोर्ट कहा कि अब प्रोफेसर की उम्र 75 साल है। इतना समय बीत जाने के बाद एक बार फिर उन्हें डीयू की कार्यकारी समिति के पास भेजना और अपना पक्ष ठीक से रखने के लिए मौका देने का कोई औचित्य नहीं है। उन्हें जिरह के दौरान फिर उन्हीं सवालों का सामना करना पड़ेगा जिसके लिए उन्होंने इतनी लंबी लड़ाई लड़ी। लिहाजा उन्हें बरी किया जाता है। प्रोफेसर ने अपनी याचिका में कहा था कि सही ढंग से काम न करने पर वह अक्सर दोनों महिलाओं को इसके लिए डांटते थे।

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