सर्द मौसम में संस्कृति की झलक और सियासी गर्माहट
गैरसैंण : सुबह के वक्त हल्की फुहारें और फिर चटख धूप के साथ ही सर्द बयार के बीच सात हजार फुट की उंचाई पर स्थित भराड़ीसैंण (गैरसैंण) में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में जहां लोक संस्कृति की झलक देखने को मिली, वहीं सर्द मौसम में सियासी पारा भी खूब उछला। सदन में विपक्ष ने तमाम मुद्दों पर गर्मागर्म बहस के साथ ही सर्दी से होने वाली तकलीफों को उजागर किया, वहीं बाहर तमाम संगठनों ने गैरसैंण से विधानसभा परिसर तक अपनी आवाज बुलंद की। यही कारण रहा कि हाड़ कंपा देने वाली ठंडक के बीच गर्माहट भी महसूस की गई।
दिसंबर में भराड़ीसैण में विस सत्र के मद्देनजर मौसम की जैसी संभावना व्यक्त की जा रही थी, वह सत्र के पहले दिन ठीक वैसी ही नजर आई। सुबह के वक्त आसमान में बादलों का डेरा घना हुआ और इसके साथ ही फुहारें भी पड़ी। हालांकि, बाद में चटख धूप भी निखर आई, लेकिन तब तन चीरने वाली सर्द बयार ने डेरा डाल दिया और सभी ठिठुरते नजर आए। लगा कि सर्द बयार सियासी गर्माहट पर हावी हो जाएगी, लेकिन विस अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के विधानभवन में हवन यज्ञ संपन्न कराने के बाद धूप निखर आई।
इसके साथ ही भराड़ीसैंण से महज दो किमी के फासले पर स्थित सिराणा गांव के बच्चों ने परिसर में पारंपरिक पांडव नृत्य की प्रस्तुति देकर माहौल को लोकरंग से गर्माने का प्रयास किया। यही नहीं, सत्र में पहुंचे मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों का विस अध्यक्ष अग्रवाल ने पारंपरिक ढंग से स्वागत किया और उन्हें शॉल और टोपी भेंट की। इस दौरान हर कोई सियासी दांवपेच भूलकर न सिर्फ गदगद नजर आया, बल्कि लोकरंगों में सराबोर हो गया। उफतारा संगठन से जुड़े लोक कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में सभी अतिथियों का स्वागत किया।
हालांकि सत्र प्रारंभ होने के साथ ही सियासी पारे की उछाल भरनी प्रारंभ हुई तो इससे ठंड में हल्की गर्माहट घोल दी। नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने कहा, ‘ठंड में सभी परेशान हैं। खुद की पीठ अकड़ गई है। कर्मचारी-अधिकारी इस बारे में कुछ बोल नहीं पा रहे, लेकिन परेशान वे भी हैं। व्यवहारिकता को तो देखा ही जाना चाहिए।’ यही नहीं, सदन में ठंड पर ही बात नहीं, बल्कि विपक्ष ने कुछ मुददों पर गर्मागर्म बहस की है।
सदन के बाहर पेयजल और सड़क की समस्या से जूझ रहे सिराणा गांव के निवासियों ने प्रदर्शन के जरिये अपनी बात सरकार तक पहुंचाई। इसके अलावा राज्य आंदोलनकारियों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, कांग्रेसजनों और नशा नहीं रोजगार दो-गैरसैंण राजधानी बनाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने पूरे गैरसैंण में माहौल को गरमाए रखा। हालांकि, शाम को फिर से बादल घिर आए, लेकिन सभी की जुबां पर शीतकालीन सत्र चर्चा के केंद्र में रहा। कुछ लोग तो यह टिप्पणी भी करते नजर आए कि यदि मौसम खराब हुआ तो सत्र दो-तीन दिन से लंबा नहीं खिंचेगा। कुछ का ये भी कहना था कि जब सरकार ने विपरीत मौसम में भी यहां सत्र कराने की इच्छाशक्ति दिखाई है तो उसे गैरसैंण पर निर्णय भी ले लेना चाहिए।