Sridevi: ‘चांदनी’ जो हंसाना ही नहीं रुलाना भी जानती थी…
नई दिल्ली: श्रीदेवी का दुबई में निधन हो गया है. श्रीदेवी बॉलीवुड की उन कुछेक एक्ट्रेसेस में से थीं जिन्होंने बॉलीवुड में उस दौर में कदम रखा जब हिंदी सिनेमा में सॉलिड कंटेंट वाली फिल्मों का दौर कहीं खो रहा था और मेल सेंट्रिक सिनेमा पर फोकस था. श्रीदेवी ने 1975 में ‘जूली’ फिल्म में लक्ष्मी की बहन का रोल निभाया था. उस दौर में शायद ही किसी की नजर उस लड़की पर गई होगी जो किसी भी मायने में लक्ष्मी के आगे नहीं टिक पाती थी. लेकिन 12 साल की ये लड़की साउथ की फिल्मों में लगातार काम कर रही थी, और वहां का बड़ा नाम बन चुकी थी. फिर 1978 में एक फिल्म ‘सोलहवां सावन’ आई जिसका नाम सुनकर ही नाकभौंह सिकुड़ने लगती थीं, ये सुपरहिट फिल्म ’16 वयातिनील (1977)’ का रीमेक थी, जिसमें श्रीदेवी के साथ रजनीकांत और कमल हासन नजर आए थे. हालांकि ‘सोलहवां सावन’ नाम की ये फिल्म मॉर्निंग शो का ही हिस्सा बन कर रही गई. तमिल में फिल्म सुपरहिट रही थी, लेकिन हिंदी में जबरदस्त फ्लॉप रही.
श्रीदेवी इस सबके बीच साउथ में अपनी एक्टिंग का डंका बजाती रहीं जबकि बॉलीवुड में 1983 तक कुछ भी क्लिक नहीं कर सका. लेकिन ये साल उनके लिए लकी रहा और नेहालता के कैरेक्टर ने उन्हें पहचान दिलाने का काम किया. फिल्म थी ‘सदमा.’ जिसमें उन्होंने एक व्यस्क लड़की के अपनी याद्दाश्त खोने का किरदार निभाया था. इसी साल आई ‘हिम्मतवाला’ ने उन्हें बॉलीवुड में स्थापित किया. जीतेंद्र के साथ उनकी जोड़ी सुपरहिट रही. ‘हिम्मतवाला’ मिलने के पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है. श्रीदेवी साउथ की एक फिल्म में बाल कलाकार के तौर पर काम कर रही थीं. वहीं के. राघवेंद्र राव असिस्टेंट डायरेक्टर थे. शूटिंग के दौरान श्रीदेवी को एक वाहन से चोट लग गई तो राव श्रीदेवी को तुरंत अस्पताल लेकर गए. कुछ साल बाद जब राव डायरेक्टर बने तो उन्होंने श्रीदेवी को उनके करियर की पहली हिंदी और सबसे बड़ी हिट फिल्म ‘हिम्मतवाला’ दी.
श्रीदेवी ने जब बॉलीवुड में कदम रखा तो उन्हें हिंदी तक नहीं आती थी और एक्ट्रेस नाज उनके लिए डबिंग करती थीं. लेकिन ‘चांदनी (1989)’ फिल्म में पहली बार उन्होंने खुद के लिए डबिंग की और यश चोपड़ा की ये फिल्म सुपरहिट रही थी. दिलचस्प यह कि ‘चांदनी’ के लिए यश चोपड़ा पहले रेखा को कास्ट करना चाहते थे. लेकिन किस्मत से ये फिल्म उनकी झोली में आ गई और उन्होंने अपनी एक्टिंग, डांस और अंदाज से दिल जीत लिया. इसी तरह 1986 की उनकी हिट फिल्म ‘नगीना’ के लिए पहले जया प्रदा के नाम के बारे में सोचा जा रहा था लेकिन फिर श्रीदेवी को कास्ट किया गया और ‘नगीना’ इच्छाधारी नागिनों की फिल्मों के मामले में आज भी टॉप फिल्मों में शुमार होती है.
श्रीदेवी ने चार साल की उम्र में साउथ सिनेमा में करियर की शुरुआत की और हिंदी सिनेमा तक में नाम कमाया. ‘जूली (1975)’ में साउथ की टॉप एक्ट्रेस लक्ष्मी की बहन का किरदार निभाने से लेकर 2017 में ‘मॉम’ की एक बदला लेने वाली मां की कहानी तक, उन्होंने हिंदी सिनेमा में ऐसा लंबा सफर तय किया जिसे भुलाया नहीं जा सकता. इस सफर में उन्होंने ‘सदमा’, ‘हिम्मतवाला’, ‘मि. इंडिया’, ‘चांदनी’, ‘लम्हे’ और ‘नगीना’ जैसी यादगार फिल्में दीं.
श्रीदेवी की बॉलीवुड जर्नी कामयाबी भरी है. शोहरत ने उनके कदम चूमे और अब तक वे अपने काम के दम पर बॉलीवुड में कायम थीं, लेकिन जिस एक बात का उन्हें रंज रहा, वह था एजुकेशन सही से नहीं ले पाना. छोटी उम्र में ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था. घर के हालात और काम की वजह से उन्हें फिल्म और पढ़ाई में से एक को चुनना पड़ा तो उन्होंने करियर को गले लगाया. बेशक आज श्रीदेवी अचानक ही हमारे बीच से चली गई हैं, लेकिन एक अदाकारा के तौर पर भारतीय सिनेमा में उनका योगदान अप्रतिम है, फिर वह चाहे एक्टिंग हो, डांसिंग हो या फिर चुलबुलापन, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता.