DUSU चुनाव के नतीजों ने बताया दिल्ली के यूथ का मूड, BJP को मिली संजीवनी, कांग्रेस को बूस्ट
राजधानी दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव पर देश भर की नजर रहती है क्योंकि इन दोनों विश्वविद्यालय के चुनावों में नेताओं का भी सीधा दखल रहता है। हाल ही में जेएनयू में हुए छात्र संघ चुनाव के बाद डीयू में भी चुनाव हुआ। जिसके नतीजे जारी किए गए। छात्र संघ के सभी प्रमुख चार पदों पर शुरू से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के उम्मीदवार लीड कर रहे थे। शाम होते-होते जब नतीजे आए तो एक बार फिर दिल्ली विश्वविद्यालय भगवामय हो गई। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत तीनों पदों पर जहां एबीवीपी ने कब्जा कर लिया वहीं कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई के खाते में एक ही सीट आई। वामपंथ समर्थित स्टूडेंट यूनियन आईसा को एक भी बड़ा पद नहीं मिला। अध्यक्ष पद पर एबीवीपी के अक्षित दहिया ने 19 हजार वोटों से जीत हासिल की वहीं उपाध्यक्ष पद पर प्रदीप तंवर ने 8574 वोटों से जीत दर्ज की। सचिव पद पर एनएसयूआई के आशीष लांबा ने 1053 वोटों से जीत हासिल की। संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी की शिवांगी खरवाल ने तीन हजार वोटों से जीत हासिल की। बता दें कि दिल्ली में विधानसभा चुनाव में छह महीने से भी कम का समय शेष है और सभी दल इसकी तैयारी में जुटी हुई हैं। ऐसे में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव परिणाम यहां की चुनावी सियासत पर भी असर डालेगा। वैसे तो इस बार के परिणाम साल 2018 में हुए डूसू के चुनाव के परिणाम जैसे ही हैं। पिछले वर्ष भी इन ही सीटों पर एबीवीपी की जीत हुई थी और एनएसयूआई के हाथ तब भी सचिव का पद ही लगा था। तब भी कांग्रेस की छात्र इकाई ने एबीवीपी की जीत पर सवाल उठाते हुए ईवीएम मशीन में होने वाली छेड़छाड़ की खबरों को ज़िम्मेदार माना था। लेकिन इस दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई, छात्र युवा संघर्ष समिति (सीवाईएसएस) इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतारी थी। गौरतलब है कि पिछले साल वाम पार्टी आइसा और सीवाईएसएस के गठबंधन को एक भी सीट नही मिली थी।