डेंगू और स्वाइन फ्लू का उत्तराखंड में डबल अटैक
देहरादून ।
स्वास्थ्य के मोर्चे पर उत्तराखंड में इस समय दोहरी मुसीबत आन पड़ी है। जहां डेंगू के लगातार एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं, वहीं स्वाइन फ्लू ने भी दस्तक दे दी है। दो महिलाओं में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। हिमालयन अस्पताल जौलीग्राट में भर्ती दो महिलाओं में स्वाइन फ्लू पॉजीटिव आया है। इनमें एक जौलीग्राट और दूसरी हरिद्वार की रहने वाली है। ये दोनों महिलाएं पिछले कई दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, उन्हें आइसीयू में रखा गया है। फिलहाल उनकी हालत में सुधार है। विभाग ने मरीजों के परिजनों और उनसे मिलने वालों की जांच की है, उनमें स्वाइन फ्लू लक्षण नहीं मिले हैं।एसीएमओ डॉ. दयाल शरण ने बताया कि हरिद्वार की 64 वर्षीय महिला पाच सितंबर और जौलीग्राट की 31 वर्षीय महिला 13 सितंबर से हिमालयन अस्पताल जौलीग्राट में भर्ती हैं।
अस्पताल से मिली रिपोर्ट के अनुसार, दोनों मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। डॉ. पीयूष की अगुवाई में विभाग की टीम ने रविवार को अस्पताल का दौरा किया। स्वाइन फ्लू को लेकर तमाम अस्पतालों को अलर्ट किया गया है। इसे लेकर आम जन को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अस्पतालों को पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्ध करा दी गई है। इंतजाम में कोई कमी नहीं रहने दी जाएगी। स्वाइन फ्लू के वायरस और मौसम में गहरा संबंध है। कम तापमान और ज्यादा नमी के कारण हवा घनी होती है, जो वायरस के एक्टिव होने में मददगार बनती है। यही कारण है कि स्वाइन फ्लू सर्दियों में असर दिखाता है। लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि गर्मी भी वायरस को निस्तेज नहीं कर पा रही है। जिस कारण इसका स्ट्रेन बदल गया है। इसी साल का उदाहरण लीजिए। मार्च से मई के बीच तीन लोगों ने इस बीमारी के चलते अपनी जान गंवाई। थराली विधायक मगनलाल शाह की भी मौत स्वाइन फ्लू से ही हुई थी।
स्वाइन फ्लू से बचाव को रखें इन बातों का ख्याल स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए इसके लक्षणों और अन्य सावधानियों के बारे में जानकारी होना जरूरी है। सर्दी, जुकाम, सूखी खासी, थकान होना, सिरदर्द और आखों से पानी आना है। इसके अलावा स्वाइन फ्लू में सांस भी फूलने लगती है। अगर संक्रमण गंभीर है तो बुखार तेज होता जाता है। इंफ्लूएंजा-ए वायरस के एक प्रकार एच1 एन1 से स्वाइन फ्लू उत्पन्न होता है। यह वायरस साधारण फ्लू के वायरस की तरह ही फैलता है। स्वाइन फ्लू का वायरस बेहद संक्रामक है और एक इंसान से दूसरे इंसान तक बहुत तेजी से फैलता है। जब कोई खासता या छींकता है तो छोटी बूंदों में से निकले वायरस कठोर सतह पर आ जाते हैं। यह वायरस 24 घटे तक जीवित रह सकता है। गंभीर बीमारियों से ग्रसित, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले, सर्दी-जुकाम से पीड़ित, बच्चे और बुजुगरें को विशेष तौर से सावधानी बरतने की जरूरत है।
इस बीमारी से बचने के लिए स्वच्छता का खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। खांसते और छींकते समय टिशू से कवर रखें।
बाहर से आकर हाथों को साबुन से अच्छे से धोएं या सेनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
जिन लोगों में स्वाइन फ्लू के लक्षण हों, उन्हें मास्क पहनना चाहिए और घर में ही रहना चाहिए। स्वाइन फ्लू के लक्षण वाले मरीज से संपर्क व हाथ मिलाने से बचें। नियमित अंतराल पर हाथ धोते रहें। जिन लोगों को सास लेने में परेशानी हो रही हो और तीन-चार दिन से तेज बुखार हो, उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।स्वाइन फ्लू के लिए गले और नाक के द्रव्यों का टेस्ट होता है। जिससे एच1 एन1 वायरस की पहचान की जाती है। ऐसी कोई भी जाच डॉक्टर की सलाह के बाद कराएं।