दोबारा कोरोना पॉजिटिव आए रिपोर्ट तो घबराएं नहीं
देहरादून। कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद भी कई लोगों को इस बात का डर सताता रहता है कि कहीं उन्हें दोबारा संक्रमण तो नहीं हो जाएगा। डर की वजह यह है कि कुछ ऐसे मामले आए हैं, जिनमें मरीज के स्वस्थ हो जाने के बाद फिर जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। एक अध्ययन में सामने आया है कि इसका कारण व्यक्ति के शरीर में मौजूद कोरोना वायरस के मृत कण हो सकते हैं। इस तरह के मरीज को किसी तरह की दिक्कत नहीं होती और न ही वह दूसरों को संक्रमित कर सकता है।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने भी यह माना है कि मृत आरएनए की वजह से रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है।दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि किसी भी जीव की संरचना डीएनए (डिआक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड) और आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) से बनी होती है। कोरोना वायरस आरएनए से बना है। इसके जांच के लिए गले, नाक और स्टूल (मल) से सैंपल लिया जाता है। गले से लिए गए सैंपल से वायरस में मौजूद प्रोटीन की जांच की जाती है। उन्होंने बताया कि मृत वायरस के आरएनए से रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है। इसके अलावा गले या नाक में वायरस की संख्या कम होने, ठीक से सैंपल नहीं लिए जाने और तय तापमान सैंपल नहीं भेजे जाने के कारण भी रिपोर्ट में फर्क पड़ जाता है।
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री के मुताबिक सत्रह दिन आइसोलेशन में रहने पर गाइडलाइन के मुताबिक बिना लक्षण वाले मरीज को जांच की जरूरत नहीं है। इस अवधि में वायरस का असर खत्म हो जाता है। कई बार रिपोर्ट पॉजिटिव आने की संभावना रहती है, ये मृत आरएनए काउंट होने की वजह से भी हो सकता है। जिसकी वजह से दस दिन का आइसोलेशन और बढ़ जाता है और मरीज और परिवार की चिंता अलग। कई बार मरीज दोबारा जांच कराने पर अपनी पुरानी हिस्ट्री एवं एसआरएफ आइडी नहीं बताते। ऐसे में रिकॉर्ड की डबलिंग की भी दिक्कत बनी रहती है। आइसीएमआर पोर्टल पर रिपोर्ट चढ़ाते वक्त भी पकड़ में नहीं आते। बहरहाल अब आधार नंबर की मदद से ऐसे लोगों को ट्रेस किया जा रहा है। जिसमें काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।