दशहरा पर इन 10 अच्छी आदतों से कर लें दोस्ती : कोरोनाकाल में सेहत को लेकर चिंताएं बढ़ी
कोरोनाकाल में सेहत को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं। इंसान न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक पहलू पर भी चुनौतियों का सामना कर रहा है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुए विभिन्न अध्ययनों से स्पष्ट है कि इन दस अच्छी आदतों को अपनाकर विभिन्न जानलेवा बीमारियों पर जीत हासिल की जा सकती है। आइए दशहरे के मौके पर इन्हीं आदतों के बारे में जानें-
1.मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें
तनाव, बेचैनी, अनिद्रा, अकेलापन, चिड़चिड़ाहट, जीवन से नाउम्मीदी और आत्मविश्वास में कमी जैसे लक्षणों को हल्के में न लें। मन में चल रहे नकारात्मक विचारों के बारे में खुलकर बात करें। जरूरत पड़ने पर पेशेवर मदद लेने से भी नहीं हिचकिचाएं।
-डब्ल्यूएचओ का अनुमान, 28 करोड़ से अधिक वैश्विक आबादी डिप्रेशन से जूझ रही है।
-दुनियाभर में 07 लाख लोग औसतन हर साल डिप्रेशन के चलते खुदकुशी कर लेते हैं।
2.सकारात्मक सोच विकसित करें
नकारात्मक सोच स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ का उत्पादन बढ़ा देती है। इससे न सिर्फ याददाश्त पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि सही-गलत में अंतर करने व त्वरित निर्णय लेने की क्षमता भी घट जाती है। व्यक्ति को हृदयगति और रक्तचाप बढ़ने की शिकायत भी सता सकती है।
3.कसरत के लिए समय निकालें
-व्यायाम न सिर्फ मोटापे से निजात दिलाने में कारगर है, बल्कि टाइप-2 डायबिटीज, हृदयरोग, स्ट्रोक, कैंसर सहित अन्य जानलेवा बीमारियों से मौत का खतरा भी घटाता है। डिप्रेशन से बचाव और याददाश्त-तर्क शक्ति में कमी की शिकायत को दूर रखने में भी इसकी अहम भूमिका है।
-हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन में 15 मिनट की शारीरिक सक्रियता औसत जीवन प्रत्याशा में तीन साल तक की वृद्धि लाने में कारगर मिली थी।
4.मन को भाने वाले काम करें
सिलाई, बुनाई, कढ़ाई हो या फिर बागवानी, गिटार बजाना या घूमना-फिरना, रोजमर्रा के व्यस्त शेड्यूल में से मन को भाने वाले कामों के लिए कुछ समय जरूर निकालें। ये काम रचनात्मकता को बरकरार रखने के अलावा नकारात्मक विचारों पर काबू पाने में भी मदद करते हैं।
5.निजी-पेशेवर जीवन में तालमेल बैठाएं
कोरोनाकाल में ज्यादातर कर्मचारियों ने काम का बोझ बढ़ने की शिकायत की है। ‘वर्क फ्रॉम होम’ की मजबूरी ने दफ्तर और घर के बीच की बारीक सीमा को भी धुंधला कर दिया है। हालांकि, अब जबकि दफ्तर खुलने लगे हैं तो निजी-पेशेवर जीवन एक बार फिर अलग करना शुरू करें।
6.अपनों के साथ समय बिताएं
मेयो क्लीनिक के एक अध्ययन में देखा गया था कि अपनों से घिरे रहने वाले लोगों में न सिर्फ सुरक्षा का भाव ज्यादा होता है, बल्कि वे जीवन के प्रति अधिक सकारात्मक सोच भी अख्तियार कर पाते हैं। ऐसे में खाली समय में फोन या सोशल मीडिया से चिपके रहने के बजाय परिवार के साथ समय बिताएं।
7.वित्त प्रबंधन पर ध्यान दें
-भविष्य को लेकर अक्सर चिंतित रहने वाले लोगों में टाइप-2 डायबिटीज से लेकर हृदयरोग, स्ट्रोक और कैंसर तक का खतरा अधिक पाया गया है। लिहाजा आने वाले कल को लेकर फिक्रमंद रहने के बजाय वित्त प्रबंधन पर ध्यान दें। अलग-अलग लक्ष्यों की पूर्ति का विस्तृत खाका तैयार करें।
8.दूसरों से तुलना करने से बचें
-‘जर्नल ऑफ सोशल एंड क्लीनिकल साइकोलॉजी’ में छपे एक शोध में फेसबुक-इंस्टाग्राम जैसी सोशल साइटों के अत्यधिक इस्तेमाल को जीवन से असंतुष्टि का स्तर बढ़ने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। औरों की खुशियों और सफलताओं से तुलना करने की प्रवृत्ति इसकी मुख्य वजह थी।
9.फास्टफूड से दूरी बनाएं
-पिज्जा-बर्गर जैसे फास्टफूड ब्लड शुगर में वृद्धि के साथ ही आंत में गुड और बैड बैक्टीरिया के बीच का संतुलन बिगड़ने का सबब बनते हैं। इनके अत्यधिक सेवन से डायबिटीज और दिल की बीमारियों का खतरा तो बढ़ता ही है, साथ ही रोग-प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट की शिकायत भी सताती है।
10.भौतिक सुखों के पीछे न भागें
-मेहनत की कमाई भौतिक सुखों पर लुटाने के बजाय उन चीजों पर खर्च करें, जिनसे आपके मन को खुशी एवं शांति की अनुभूति होती है। दोस्तों या परिजनों के साथ छुट्टियां मनाने शहर से बाहर जाएं। कोई नया हुनर सीखें। उन चीजों के लिए ईश्वर का आभार जताएं, जो आपके पास हैं पर औरों के नहीं।