केदारनाथ में आपदा के सात साल बाद भी मुश्किलें बरकरार

रुद्रप्रयाग ।  केदारनाथ आपदा के सात साल बाद भी सरकार और प्रशासन केदारनाथ धाम में ज्यादा व्यवस्थाएं बहाल नहीं कर सका। जहां बदरी-केदार मंदिर समिति को देवस्थानम बोर्ड में तब्दील तो कर दिया है, किंतु यहां देवस्थानम बोर्ड के कर्मचारियों तक के रहने की व्यवस्थाएं नहीं हैं।पैदल मार्ग का विस्तार नहीं हो पाया है। सात साल में अब भी कई मुश्किलें बरकरार हैं। 16-17 जून वर्ष 2013 की आपदा के सात साल पूरे हो गए हैं। बाबा केदार के दर्शन करने के लिए देश-विदेश के यात्रियों की आस्था और विश्वास में कोई कमी नहीं है।यदि कोरोना महामारी के चलते यात्रा प्रतिबंधित न होती तो शायद अब भी बड़ी संख्या में भक्त बाबा केदार के दर्शनों को पहुंचते, किंतु सरकारी स्तर पर जिस तेजी से प्रयास होने चाहिए, उसमें ज्यादा बदलाव नहीं देखे गए हैं।पुनर्निर्माण के कार्य अब भी चल रहे हैं। तीर्थपुरोहितों के भवन बनाने का काम जारी है। जबकि आदि गुरुशंकराचार्य समाधि स्थल, गरुड़चट्टी जाने को पुल आदि का काम चल रहा है।हालांकि यहां की विषम परिस्थितियों में कार्यदायी संस्था ने कठिन स्थिति में भी काम जारी रखा है, किंतु सात साल में जो काम पूरे होने चाहिए थे, उसमें अब भी लेट लतीफी की जा रही है। रामबाड़ा से केदारनाथ तक पुराने पैदल मार्ग पर अब भी सुस्त गति से कार्रवाई चल रही है यह मार्ग कब बनेगा इस पर भी कुछ कहा नहीं जा सकता है।जबकि वर्तमान गौरीकुंड केदारनाथ पैदल मार्ग की स्थिति भी ज्यादा बेहतर नहीं है। कई जगहों पर जोखिम बने हैं। सरकार ने भले ही स्थानीय यात्रियों के लिए केदारधाम जाने की अनुमति तो दे दी है, किंतु उनके खाने और ठहरने के उचित इंतजाम नहीं हैं।पैदल मार्ग में भी दुकानें नहीं है। ऐसे में जो भी केदारनाथ जा रहा है वह अपने साथ खाने की व्यवस्था भी करते जा रहे हैं। यात्रा के दौरान भले ही प्रशासन टेंट कॉलोनी का विस्तार करते हुए यात्री ठहराने की व्यवस्था करता आ रहा है, किंतु स्थाई ठिकानों की अब भी कमी है।स्थानीय तीर्थपुरोहितों को भी पूरी तरह यात्री ठहराने के लिए होटल लॉज और धर्मशालाओं को इस्तेमाल करने की छूट नहीं दी जाती है जिससे यहां कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।अब उम्मीद यही है कि इस साल अंत तक केदारनाथ में सभी जरूरी व्यवस्थाएं बहाल कर दी जाएं जिससे स्थानीय लोगों के साथ ही तीर्थयात्री, अधिकारी कर्मचारी और व्यापारियों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

गौरीकुंड से केदारनाथ तक 17 किमी पैदल मार्ग में रोजगार के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। जो दुकानें बीते वर्ष आवंटित की गई उससे अधिक दुकानें आवंटित करने के प्रयास नहीं हो रहे हैं।गौरीकुंड के पूर्व प्रधान राकेश गोस्वामी ने कहा कि यात्रा से जुड़े हक-हकूधारी और व्यापारी कारोबार को लेकर चिंतित हैं। कोरोना महामारी के चलते यात्रा ठप है और उनके सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया है।घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी मजदूर परेशान हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यात्रा को लेकर रोजगार बढ़ाने के प्रयास नहीं किए गए।लोकल यात्री के रूप में पहले यात्री बनकर लौटे स्थानीय व्यापारी केशव नौटियाल, योगेश जुयाल और मोहित नौटियाल ने बताया कि रास्ते में खाने और रहने की व्यवस्था नहीं है। एक भी दुकान खुली नहीं है मार्ग में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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