गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग फिर उठी
देहरादून, । गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर धारचूला से उत्तरकाशी तक यात्रा निकाली जाएगी। विभिन्न सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों, राज्य आंदोलनकारियों, छात्रों और आम नागरिकों ने गैरसैंण राजधानी बनाने को आंदोलन को गति देने और इसके लिए धारचूला से उत्तरकाशी तक एक यात्रा निकालने का फैसला किया है। यह यात्रा 20 अगस्त से प्रस्तावित की गई है जो लगभग 20 दिन तक चलेगी।यहां बंजारावाला स्थित एक होटल में आयोजित की गई इस बैठक में बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों के लोग, राज्य आंदोलनकारी, पत्रकार, लेखक और आम लोग शामिल हुए। बैठक में मुख्य रुप से यह बात सामने आई कि गैरसैंण को राजधानी बनाने का आंदोलन न सिर्फ सामाजिक बल्कि राजनीतिक स्तर पर की लड़ाई लड़ा जाना चाहिए और इसके लिए एक राजनीतिक संगठन की आवश्यकता है। तय किया गया कि आने वाली बैठकों में इस तरह के में बैठकों में इस तरह के राजनीतिक संगठन के बारे में चर्चा को आगे बढ़ाई जाएगी और सर्वसम्मति से इस संबंध में फैसला लिया जाएगा।इस मौके पर गैरसैंण संघर्ष समिति के चारु तिवारी ने कहा कि गैरसैण सिर्फ एक स्थान का मामला नहीं है बल्कि यह अस्मिता का सवाल है। पहाड़ का विकास तभी संभव है जब इस राज्य की राजधानी पहाड़ में होगी। उन्होंने गैरसैंण यात्रा की रूपरेखा बताते हुए कहा कि इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों, खासकर छात्रों, युवाओं और महिलाओं को जोड़ा जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि गैरसैंण राजधानी राजधानी क्यों आवश्यक है। उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञ पूरे पहाड़ को बेचने पर तुले हुए हैं।इस अवसर पर पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि इस समय सरकार पर राजधानी बनाने का दबाव है और यह सही समय है जब हमें यह मांग तेजी से उठानी उठानी चाहिए। इस अवसर पर पत्रकार दिनेश जुयाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस आंदोलन से जुड़ने की वकालत की। बैठक का संचालन करते हुए पत्रकार योगेश भट्ट ने विभिन्न वर्गों को जोड़ने की बात कही। इस अवसर पर मोहित डिमरी ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या लोगों की भागीदारी है। लोग कुछ दिन आते हैं लेकिन समयाभाव के कारण वापस चले जाते हैं।इस अवसर पर प्रोफेसर एसपी सती ने युवा वर्ग और छात्रों को आंदोलन से जोड़ने की वकालत की। उन्होंने कहा कि इसके लिए हर कॉलेज में एक छात्र संगठन तैयार किया जाना चाहिए, जो पहाड़ के मुद्दों पर काम करें। गजेंद्र रावत ने कहा कि पहाड़ खाली होते जा रहे हैं और पहाड़ के नेता पहाड़ों के बजाय मैदानों में चुनाव लड़ने लगे हैं। मनमोहन लखेड़ा का कहना था कि यदि वास्तव में गैरसैंण की लड़ाई लड़नी है तो इसके लिए राजनीतिक ताकत बनना बहुत जरूरी है। बिना राजनीतिक मंच के यह लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती।इस अवसर पर प्रदीप सती का कहना था कि आज राज्य में असमानता की स्थिति यह है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के लिए 60 लाख की बुलेट प्रूफ कार खरीदी जा रही है जबकि चमोली जिले में महिलाएं रस्सी के सहारे नदी पार कर रही है। इस अवसर पर महिला मंच की निर्मला बिष्ट ने कहा कि हम असली मुद्दों को लोगों के बीच नहीं ले जा पाए हैं। पहाड़ का कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी हिस्से में रहता हो गैरसैंण के विरोध में नहीं है, लेकिन नेताओं ने उन्हें भड़का दिया है। बैठक में जयदीप सकलानी, शिव प्रसाद सती, अखिलेश डिमरी, पीसी थपलियाल, कर्नल देव डिमरी, शंकर सिंह भाटिया, सचिन थपलियाल, सुमन नेगी, शकुन्तला गुसांई सहित अनेक लोगों ने अपने विचार रखे।