ट्रेन में हुई प्रसव पीड़ा फिर प्लेटफॉर्म पर हुई डिलिवरी, किलकारी गूंजने पर चौंके लोग
नई दिल्ली । आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की आपाधापी के बीच किलकारी गूंजी। ट्रेन में बैठी महिला को प्रसव पीड़ा हुई। इसकी सूचना मिलते ही आरपीएफ की महिला कांस्टेबल ने महिला को ट्रेन से उतार लिया और एंबुलेंस पहुंचने में देरी हुई तो प्लेटफार्म पर ही चादर से परदा कर प्रसव कराया।
महिला कांस्टेबल की सूझबूझ देखिए कि बच्चे के गले में गर्भनाल फंसी थी, उसे भी खुद ही सुरक्षित तरीके से काटा। इसके बाद एंबुलेंस पहुंचने पर मां और बच्चे को लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल भेज दिया गया, जहां बच्चे को इनक्यूबेटर में रखा गया है। उसकी हालत पर डॉक्टर नजर रखे हुए हैं।
दरअसल, मूल रूप से चिराय पट्टी, मुजफ्फरपुर, बिहार निवासी अली असगर अपनी पत्नी शबाना के साथ तिलक नगर दिल्ली में रहते हैं और मजदूरी करते हैं। करीब एक साल पहले उनकी शादी हुई थी और पत्नी साढ़े सात माह की गर्भवती थी।
पहला बच्चा होने के कारण परिजनों ने शबाना को गांव आने के लिए कहा था, इसलिए अली असगर शनिवार को पत्नी को लेकर सप्तक्रांति एक्सप्रेस से मुजफ्फरपुर जाने के लिए आनंद विहार स्टेशन पहुंचे। वे ट्रेन में बैठ चुके थे और 2:50 बजे ट्रेन चलने ही वाली थी कि शबाना को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।
उन्होंने प्लेटफार्म पर मौजूद एक आरपीएफ कर्मचारी को सूचना दी। इसके बाद आरपीएफ प्रभारी अनिल कुमार ने तीन महिला कांस्टेबल मोनिका, रितु डबास और पूजा गोस्वामी को महिला के पास भेजा। तीनों ने महिला यात्री को प्लेटफार्म नंबर एक पर उतारकर एंबुलेंस के लिए फोन किया गया।
तब तक महिला की पीड़ा ज्यादा बढ़ गई थी, इसलिए एंबुलेंस का इंतजार किए बिना ही महिला कांस्टेबलों ने एक कोने में चादर से परदा किया और वहीं महिला का प्रसव कराया।
आरपीएफ के सूत्रों ने बताया कि कांस्टेबल मोनिका को प्रसव कराने के बारे में जानकारी है। इसलिए बच्चे के गले में गर्भनाल फंसी होने के बावजूद उन्होंने सुरक्षित प्रसव कराया।
एंबुलेंस आने पर दोनों को अस्पताल भेजा गया। लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का वजन 1.8 किलो है, उसकी हालत स्थिर है। शबाना को भी किसी तरह की दिक्कत नहीं है।