हर घर से सीवर चार्ज वसूले दिल्ली सरकार NGT
नई दिल्ली। सीवेज कनेक्शन के लिए बगैर नालों के जरिये मल-मूत्र सीधे यमुना में बहाए जाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़ा रुख अपनाया है। एनजीटी ने इसे गंभीरता से लेते हुए दिल्ली सरकार को यमुना नदी को प्रदूषित करने के बदले राजधानी के सभी घरों से सीवर शुल्क वसूलने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि भले ही लोगों ने सीवर का कनेक्शन नहीं लिया हो, लेकिन उनसे शुल्क जरूर लिया जाए। एनजीटी प्रमुख जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने दिल्ली सरकार को सभी घरों पर सीवेज शुल्क लगाने और उसकी वसूली करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के 24 अक्टूबर 2019 के निर्देशों का तुरंत पालन करने का आदेश दिया है। बेंच ने अपने आदेश में सरकार को पॉल्यूटर पे प्रिंसिपल यानी प्रदूषण फैलाने वाले से पर्यावरण को नुकसान की वसूली करने के सिद्धांत पर सभी घरों से सीवेज शुल्क वसूलने का आदेश दिया है। बेंच ने कहा कि सभी घरों से निकलने वाला मल व जल बगैर शोधन के यमुना में जा रहा है।ट्रिब्यूनल ने 2015 में प्रदूषण फैलाने वाला ही नुकसान की भरपाई करेगा के सिद्धांत के आधार पर दिल्ली सरकार सहित सभी संबंधित महकमों को राजधानी के प्रत्येक मकान से सीवेज और पर्यावरण मुआवजा वसूलने का आदेश दिया था। ट्रिब्यूनल के इस फैसले को बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी 24 अक्टूबर 2019 को बहाल रखा था। साथ ही सरकार को दो माह के भीतर सभी घरों से सीवेज शुल्क वसूलने का आदेश दिया था।अब एनजीटी ने दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट के 2019 के आदेश को तत्काल लागू करने और सभी घरों में सीवेज शुल्क वसूलने का आदेश दिया है। एनजीटी ने कहा है कि सीवेज के डिस्चार्ज, औद्योगिक अपशिष्टों और अन्य प्रदूषकों के कारण नदी में प्रदूषण की बड़ी समस्या बनी हुई है।बेंच ने कहा है कि यदि यमुना का कायाकल्प किया जाना है तो नालियों के जरिये या सीधे तौर पर प्रदूषकों को नदी में जाने से रोकना होगा। बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि प्रदूषणकारी उद्योगों को रोका जाए और नए उद्योगों को सुरक्षा उपायों के बिना अनुमति नहीं दी जाए।एनजीटी ने अपने आदेश की कॉपी दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव, जल बोर्ड, डीडीए उपाध्यक्ष और अन्य संबंधित अधिकारियों को भी भेजने का निर्देश दिया है। साथ ही आदेश का पालन सुनिश्चित कर मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2021 से पहले रिपोर्ट पेश करने को कहा है।