मेट्रो बोर्ड की 15 बैठकों में से 14 में गायब रही दिल्ली सरकार, जानें पूरा सच
नई दिल्ली । राजधानी में मेट्रो का परिचालन दिल्ली सरकार के सहयोग के बिना नहीं हो सकता है, फिर भी दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के प्रबंधन में दिल्ली सरकार ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। नतीजा मेट्रो किराये में अप्रत्याशित बढ़ोतरी से यात्रियों की परेशानी बढ़ गई।
मेट्रो नेटवर्क के विस्तार, प्रोजेक्ट, डिजाइन, इंजीनियरिंग से लेकर कोच खरीदने, नई लाइनों पर परिचालन शुरू करने तथा किराया तय करने में अंतिम फैसला लेने में दिल्ली सरकार की भूमिका अहम है। पूर्व निर्धारित तारीख से मेट्रो किराया बढ़ाने का फैसला महीनों पहले ले लिया गया था, लेकिन उस समय इसका विरोध नहीं हुआ। सरकार ने डीएमआरसी बोर्ड की बैठकों में शामिल होना उचित नहीं समझा।
दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुए
पिछले दो वित्त वर्ष में दिल्ली मेट्रो के प्रबंधन के लिए बनी अहम समितियों की 15 बैठकें हुईं, जिनमें से 14 में दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुए। वित्त वर्ष 2015-16 में ऑडिट कमेटी, प्रॉपर्टी डेवलपमेंट कमेटी, रेम्युनरेशन कमेटी और ऑपरेशन एव मेंटेनेंस की आठ बैठकें हुईं। इनमें से सिर्फ एक बैठक में दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि पहुंचे।
वर्ष 2016-17 में ऑडिट कमेटी, प्रॉपर्टी डेवलपमेंट और ऑपरेशन एव मेंटेनेंस कमेटी की सात बैठकें हुईं। इनमें से एक भी बैठक में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारी उपस्थित नहीं थे। दिल्ली मेट्रो की वार्षिक रिपोर्ट से उक्त जानकारी मेट्रो रेल के प्रति दिल्ली सरकार की गंभीरता उजागर करती है।
निजी कैब कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है दिल्ली सरकार
इस रिपोर्ट पर स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अनुपम का कहना है कि आम आदमी पार्टी सरकार के एजेंडे में सार्वजनिक परिवहन सेवा को दुरुस्त करना कभी रहा ही नहीं। दिल्ली सरकार निजी कैब कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है और आरोप दूसरे राजनीतिक दलों पर लगाती है। मेट्रो प्रबंधन में 50 फीसद की भागीदारी होने के बाद अब दो दिनों से दिल्ली सरकार मेट्रो के अधिग्रहण की बात कह रही है, तो सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए। सरकार की लापरवाही के कारण पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली मेट्रो के उच्च स्तर में गिरावट आई है।
केंद्र और दिल्ली की बराबर की भागीदारी
दिल्ली मेट्रो में केंद्र और दिल्ली सरकार की 50-50 फीसद की भागीदारी है। 16 सदस्यीय डीएमआरसी बोर्ड में भी मेट्रो के छह पूर्णकालिक निदेशकों के अलावा केंद्र और दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर पांच-पांच निदेशक हैं।
News Source: jagran.com