DDCA: केजरीवाल की याचिका पर अरुण जेटली को दिल्ली HC का नोटिस
नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वषर्ष 1999 से 2014 के बीच हुई डीडीसीए की बैठकों के मुख्य बिंदुओं की शुक्रवार को जानकारी मांगी। इस पर अदालत ने केंद्रीय मंत्री अरण जेटली को जवाब देने के निर्देश दिया है।
अदालत ने जेटली को नोटिस जारी किया और उनसे केजरीवाल तथा पांच अन्य आप नेताओं के खिलाफ दायर 10 करो़ड़ रुपये के मानहानि के मुकदमे के संबंध में केजरीवाल द्वारा दायर याचिका पर 28 जुलाई तक जवाब देने के लिए कहा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और जनरल बॉडी की बैठकों के संबंध में जानकारी मांगी है। वकील अनुपम श्रीवास्तव के जरिए दायर की। अर्जी में केजरीवाल ने कहा है कि वह 28 जुलाई और 31 जुलाई के बीच सबूतों को दर्ज किए जाने के दौरान इन दस्तावेजों को लेकर जेटली का सामना करना चाहते हैं।
अर्जी का तरीका उचित नहीं
जेटली की ओर से पेश हुए केंद्र सरकार के स्थायी वकील अमित महाजन ने कहा कि अर्जी उचित तरीके से दायर नहीं की गई और एक उचित याचिका दायर करनी चाहिए।
महाजन, केजरीवाल द्वारा दायर याचिका के उस मांग पर आपत्ति जता रहे थे जिसमें अर्जी के दूसरे पैराग्राफ में उल्लेखित दस्तावेजों, रिकॉर्डो के साथ डीडीसीए से संबंधित अधिकारी को समन भेजने का आदेश देने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि अगर गवाहों को समन किया जा रहा है तो पहले गवाहों की सूची देनी चाहिए।
श्रीवास्तव ने यह स्वीकार किया कि अर्जी में कुछ खामी है क्योंकि यह डीडीसीए अधिकारी को समन भेजने की मांग करती दिख रही है जबकि मामला यह नहीं है।
केजरीवाल के अलावा मानहानि मामले में आम आदमी पार्टी के पांच अन्य आरोपी हैं राघव चढ्डा, कुमार विश्वास, आशुतोषष, संजय सिंह और दीपक बाजपेयी। आप नेताओं ने भाजपा नेता पर डीडीसीए का अध्यक्ष रहते हुए भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया था। जेटली वषर्ष 2000 से 2013 तक डीडीसीए के अध्यक्ष थे।
यहां पर बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने अरुण जेटली पर डीडीसीए में पद पर रहने के दौरान भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और लगातार कई मंचों से कई सौ करोड़ के घोटाले के आरोप लगाते रहे थे। बिना सुबूत लगातार आरोप लगाने पर अरुण जेटली ने अरविंद केजरीवाल पर 10 करोड़ की मानहानि का केस दायर किया है।
एक नजर पूरे मामले पर
गौरतलब है कि डीडीसीए में अनियमितता पर दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने चेतन सांघी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। चेतन सांघी ने दिल्ली सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन्होंने डीडीसीए में घोटालों का खुलासा किया है, रिपोर्ट में 2002 से अब तक की जांच की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, डीडीसीए ने फ़िरोज़शाह कोटला के दोबारा निर्माण का फैसला लिया था जो 2002 से 2007 तक चला। इस पर 24 करोड़ ख़र्च होने थे पर ख़र्च 114 करोड़ रुपए हुए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेडियम के अधिकतर कामों के लिए टेंडर निकालने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसके इलावा डीडीसीए ने स्टेडियम में 12 कॉर्पोरेट बॉक्स बनाए जो उचित प्रक्रिया के बिना कंपनियों को लीज़ कर दिए गए।
रिपोर्ट के अनुसार स्टेडियम के निर्माण में शामिल अधिकतर कंपनियां डीडीसीए के अधिकारियों की ‘फ्रंट’ कंपनियां हैं इसीलिए बजट जान-बूझकर कई गुना बढ़ाया गया।
डीडीसीए फ़िरोज़शाह स्टेडियम को शहरी विकास मंत्रालय से लीज़ पर लेकर चलाता है. इसके बदले डीडीसीए मंत्रालय को हर साल लगभग 25 लाख रुपए देता है।
मंत्रालय को आज की दर से 16 करोड़ रुपये सालाना मिलने चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार इस विवाद के कारण डीडीसीए के पास स्टेडियम चलाने के लिए फिलहाल कोई लीज़ नहीं है।