Covid-19: एक नहीं 6 तरह से हमला करता है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस मानव शरीर पर छह तरह से हमला करता है। यही वजह है कि संक्रमितों में अलग-अलग तरह के लक्षण उभरकर सामने आते हैं। कोई सामान्य बुखार, सर्दी-जुकाम के बाद ही ठीक हो जाता है तो किसी को वेंटिलेटर पर रखने की नौबत आ जाती है। किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने कोरोना ट्रैकर ऐप से प्राप्त डाटा के विश्लेषण के आधार पर यह दावा किया है।

हर संक्रमण की अलग पहचान-
1.फ्लू जैसे लक्षण, पर बुखार नहीं-

-संक्रमितों को सिरदर्द, खांसी, गले में खराश, सीने में दर्द, मांसपेशियों में तनाव और सूंघने की शक्ति कमजोर पड़ने की शिकायत सताती है, लेकिन बुखार नहीं होता

2.बुखार के साथ फ्लू जैसे लक्षण-
-इसमें सिरदर्द, सूंघने की शक्ति कमजोर पड़ने, खांसी, गले में खराश, गला बैठने, भूख घटने या खत्म होने की समस्या के साथ संक्रमित बुखार से भी परेशान रहते हैं

3.पाचन तंत्र संबंधी दिक्कतें ज्यादा-
-इस तरह के संक्रमण में मरीज सिरदर्द, सूंघने की शक्ति कमजोर पड़ने, भूख घटने या खत्म होने, डायरिया, गले में खराश, सीने में दर्द की समस्या से जूझते हैं, पर उन्हें खांसी नहीं होती

4.गंभीर स्तर की सुस्ती-
-कुछ कोरोना संक्रमितों को बुखार, खांसी, सिरदर्द, संघूने की शक्ति कमजोर पड़ने, गला बैठने और सीने में दर्द होने के साथ सुस्ती की समस्या पेश आती है, जो गंभीर रूप ले सकती है

5.भ्रम की स्थिति-
-सिरदर्द, सूंघने की शक्ति कमजोर पड़ने, भूख घटने या खत्म होने, खांसी, बुखार, गला बैठने, गले में खराश, सीने में दर्द, सुस्ती, मांसपेशियों में तनाव और भ्रम की स्थिति जैसे लक्षण दिखते हैं

6.पेट दर्द के साथ सांस लेने में तकलीफ-
-इसमें सिरदर्द, सूंघने की शक्ति कमजोर पड़ने, भूख मिटने, खांसी, बुखार, गला बैठने, गले में खराश, सीने में दर्द, सुस्ती, भ्रम, मांसपेशियों में खिंचाव, सांस लेने में तकलीफ, दस्त, पेटदर्द की शिकायत होती है

चौथा, पांचवां, छठा सतर ज्यादा घातक-
-शोधकर्ताओं ने चौथे, पांचवें और छठे तरह के लक्षण से जूझ रहे मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की दर अधिक पाई है। ऐसे मरीजों को कृत्रिम ऑक्सीजन की आपूर्ति करने या वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत भी ज्यादा पड़ती है। खांसी, सिरदर्द, सूंघने की शक्ति घटना सबसे आम लक्षण मिले।

सही समय पर  इलाज देना संभव-
-शोध दल से जुड़े क्लेयर स्टीव्स ने कहा, लक्षणों की गंभीरता वायरस का शिकार होने के पांचवें दिन से ही समझ में आने लगती है। ऐसे में डॉक्टर संक्रमितों के खून में ऑक्सीजन के स्तर पर नजर रख आंक सकते हैं कि वह गंभीर स्थिति में तो नहीं पहुंचेगा। इससे उन्हें सही दिशा में इलाज करने में मदद मिलती है।

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