सीट बचाने को सभासद ने कर ली समय से पहले शादी, पत्नी के चुनाव प्रचार में लगा
कानपुर । उत्तर प्रदेश में 22 नवंबर से घोषित निकाय चुनाव ने हजारों लोगों के विवाह के कार्यक्रम में व्यवधान पैदा कर दिया है। लंबे समय से परिवार में शादी की तैयारी में लगे लोग किसी तरीके से इस दौरान विवाह कार्यक्रम करेंगे, लेकिन कानपुर के राजकिशोर यादव ने तो बेहद अनोखा कारनामा कर दिया।
कानपुर में नवाबगंज-विकासनगर सीट से 2012 में सभासद बने राजकिशोर यादव को अनुमान नहीं था कि निकाय चुनाव 22 नवंबर से होंगे। इसके साथ ही उनकी सीट इस बार महिला सीट घोषित कर दी गई। किसी तरह से सीट बचाने के प्रयास में लगे राजकिशोर यादव ने न सिर्फ अपना विवाह निर्धारित तिथि से पहले कर लिया बल्कि अपनी पत्नी को सभासद का प्रत्याशी भी बनाकर मैदान में उतार किया। इन दिनों पति के साथ प्रचार में जुटी नेहा का प्रयास पति को इस सीट को रिटर्न गिफ्ट में देना है।
प्रदेश में राज्य चुनाव आयोग ने कानपुर में नगर निकाय चुनाव के लिए 22 नवंबर की तारीख निर्धारित की। इसी दौरान कानपुर का राजकिशोर यादव 2012 में जीती गई सीट नवाबगंज-विकासनगर को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था। उसने सीट महिला वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण अपनी सीट होने वाली पत्नी को लड़ाने का फैसला किया।
अब उसके सामने विवाह की तिथि को लेकर बड़ी समस्या था। उसका विवाह 23 नवंबर को था जबकि कानपुर में निकाय चुनाव के लिए 22 नवंबर को मतदान होना है। इसके लिए उसने शादी की तारीख 23 नवंबर से घटाकर 31 अक्टूबर कर ली और बीते 31 अक्टूबर को वह शादी के बंधन में बंध गया। अब उसके सामने पत्नी को इस सीट पर जीत दिलाने का लक्ष्य है।
राजकिशोर ने बताया कि यह उसके लिए बहुत ही अजीब स्थिति थी। उनकी शादी नेहा से तय होने के बाद 23 नवंबर को निर्धारित थी। सभी रिश्तेदार-नातेदारों के साथ दोस्तों को कार्ड तक भेजने के बाद विवाह स्थल भी तय कर लिया गया है। अक्टूबर के पहले हफ्ते से विवाह की हर तैयारी में लगा था।
इसके बाद निकाय चुनाव के सीट आरक्षण में उसकी सीट को महिला वर्ग में रखा गया। इसके बाद भी तय कर लिया था कि अपनी पत्नी को इस सीट से चुनाव लड़ाउंगा। जब चुनाव की तारीख घोषित हो गई तब तो उसकी सारी योजना को झटका लगा। उसके बाद कोई और रास्ता नहीं था।
उसकी सीट महिला रिजर्व थी और वह उसे हाथ से जाते दिख रही थी, इसलिए उसने शादी करके पत्नी को उस सीट से लड़ाने का फैसला किया। उसने नेहा के साथ 31 अक्टूबर को विवाह कर लिया। राजकिशोर ने बताया कि हमको तो हनीमून पर भी जाने का मौका नहीं मिला है। सुबह से लेकर शाम तक पत्नी नेहा के साथ प्रचार में लगा रहता हूं।
राज किशोर की पत्नी नेहा (28) ने बताया कि वह छत्रपति साहूजी महाराज यूनिवर्सिटी से परास्नातक है। 31 अक्टूबर को शादी के बाद अगले दिन से ही वह रोज उसके पति के साथ कैंपेन करने जाती हैं। अगर वह जीत जाती हैं तो यह उसके पति के लिए उसका रिटर्न गिफ्ट होगा।
चुनावी मैदान में बहू की ‘मुंह दिखाई’
विवाह के बाद नेहा वैवाहिक जीवन की एबीसीडी सीखने के बजाय वह राजनीति का ककहरा सीखकर मतदाताओं का दुलार पाने में जुटी हुई हैंं। वार्ड 43 की सपा पार्षद प्रत्याशी नेहा यादव की जो हाथ में मेहंदी और पांव में महावर के रंग लिए ही चुनावी समर में कूद पड़ी हैं। नेहा ने भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें शादी के बाद ससुराल पहुंचकर सीधे क्षेत्रवासियों की चौखट पर पहुंचकर वोट मांगना होगा पर पति की बात का सम्मान रखते हुए वह दिन रात एक किए हुए हैं। शादी के छह दिन बाद ही नामांकन कराने वाली नेहा अब तो लोगों के पैर छूकर कहती हैं कि उनकी जीत ही उनके लिए मुंह दिखाई का नेग होगी।
वार्ड 43 नवाबगंज से सपा के निर्वतमान पार्षद राजकिशोर यादव ने चुनाव लडऩे की पूरी तैयारी कर रखी थी परिसीमन में सीट महिला हो गई। उनका दोबारा पार्षद बनने का सपना टूट गया। राजकिशोर की शादी तय हो चुकी थी और 23 नवंबर को परिणय सूत्र में बंधना था। उनके मन में खयाल आया कि वह होने वाली पत्नी नेहा को मैदान में उतारें।
उन्होंने पार्टी से टिकट मांगा और फिर अपने ससुराल के लोगों से बात की। अगर विवाह 23 नवंबर की जगह छह नवंबर से पहले हो जाए तो नेहा को प्रत्याशी बना सकते हैं। ससुराल के लोग उनकी बात मान गए और राजकिशोर व नेहा का विवाह 31 अक्टूबर को हो गया। वार्ड 43 में नेहा का नाम मतदाता सूची में शमिल कराया गया और फिर नेहा ने पर्चा भरा। शादी के बाद वह वैवाहिक जीवन की खुशियां मनाने के बजाय अब वह मतदाताओं की चौखट पर माथा टेक रही हैं।