उत्तराखंड में भी कोरोना का कहर जारी,अस्पतालों में ऑक्सीजन की डिमांड तेजी से बढ़ रही
देहरादून,। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल मरीजों से पटे है। ऑक्सीजन और आईसीयू बेड की कमी से कई मरीज दम तोड़ रहे हैं। वहीं, उत्तराखंड में भी कोरोना का कहर जारी है। हर रोज प्रदेश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से राजधानी देहरादून के अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। राजधानी के सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में तेजी से बढ़ी मरीजों की संख्यां व अधिकतर के आक्सीजन पर होने से पहले के मुकाबले ऑक्सीजन की डिमांड तेजी से बढ़ती जा रही है। हालांकि, अधिकांश अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट मौजूद हैं, जिसमें लिक्विड आक्सीजन भरी जाती हैं। ताकि ऑक्सीजन व्यवस्था अस्पताल में बनी रहे। वहीं, बढ़ती कोरोना मरीजों की संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन सिलेंडरों की संख्या प्रतिदिन बढ़ाई जा रही है। जिला प्रशासन द्वारा सप्लायरों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि प्राथमिकता के आधार पर अस्पताल में गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन मुहैया कराया जाए। उसके बाद होम आइसोलेशन या अन्य स्थानों पर संक्रमित को ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाया जाए। वहीं जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि जिस मरीजों का ऑक्सीजन लेवल 90 है, वह तत्काल जिला प्रशासन और अन्य हेल्पलाइन नम्बरों पर संपर्क करे, ताकि जरूरमंदों को समय रहते ऑक्सीजन बेड मुहैया करा कर बचाया जा सके। ऐसा देखा जा रहा है 60 से 65 ऑक्सीजन आने के बाद ही लोग ऑक्सीजन डिमांड करते हैं, जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन जाता है और मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है। वहीं, अकेले घरों पर रहने वाले सीनियर सिटीजन और अन्य लोगों के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए अलग से हेल्पलाइन नंबर मुहैया कराया जा रहा है, जिस पर सूचना देकर घरों में अकेले रहने वाले व्यक्ति स्वास्थ्य सेवा के लिए मदद ले सकते हैं। जिला अधिकारी ने कहा कि बीएसएनएल की अलग लाइन से कुछ नए हेल्पलाइन नंबर आपदा प्रबंधन यूनिट में जारी कर दिए जाएंगे। इस हेल्पलाइन नंबर पर घरों में रहने वाले लोग संपर्क कर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मदद ले सकते हैं। डीएम आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना टेस्टिंग में पॉजिटिव आने वाले कई लोगों का पता और मोबाइल नंबर गलत हैं। जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग को उनको ट्रेस करने और दवा किट उपलब्ध कराने में मुश्किल आ रही है।