सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत की लाखों कर्मचारियों को बड़ी सौगात

देहरादून,। देहरादून। सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत ने लाखों कर्मचारियों को बड़ी सौगात दी है। सहकारी बैंक की कैश क्रेडिट कर्मचारी ऋण योजना का लाभ केंद्र एवं राज्य सरकार के सरकारी, अर्द्धसरकारी संस्थाओं, निगमों और सहकारी समितियों के अधिकारी और कर्मचारी भी उठा सकेंगे। अब तक यह योजना मात्र जिला सहकारी, राज्य सहकारी बैंक के नियमित कर्मचारियों, अधिकारियों और पैक्स कैडर सचिवों (नियमित) के लिए ही थी। यही नहीं, योजना के तहत सीसी लिमिट अधिकतम 25 लाख से बढ़ाकर 35 लाख रुपए कर दी गई है। निबंधक सहकारिता आलोक कुमार पांडेय ने इसके विधिवत आदेश जारी कर दिए हैं।श्री पांडेय ने बताया कि, यह ऋण योजना ऐसे कर्मचारी, अधिकारी को देय होगी, जिनका वेतन बैंक की शाखा में जमा हो रहा हो। साथ ही वही नियमित अधिकारीध्कर्मचारी पात्र होंगे, जिन्होने न्यूनतम दो वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण कर ली है तथा उनकी कुल कटौतियां (आयकर सहित) सकल वेतन के 60 प्रतिशत से अधिक न हो। योजना के अन्तर्गत अधिकतम ऋण सीमा कर्मचारियोंध्अधिकारियों के वेतन (मूल वेतन मंहगाई भत्ता) के 35 गुणा अथवा अधिकतम 35.00 लाख रुपए जो भी कम हो, स्वीकृत की जायेगी। सीसी लिमिट सेवानिवृत्ति के दो वर्ष पूर्व तक ही स्वीकृत की जायेगीपिछले साल भी सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत के निर्देश पर निबंधक सहकारिता आलोक कुमार पांडेय ने ऋण सीसी लिमिट देने की सीमा 25 लाख रुपए की थी, जिसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए। अकेले डिस्टिक कोऑपरेटिव बैंक कोटद्वार द्वारा एक अरब 60 करोड़ रुपये ,5000 कर्मचारियों को सीसी लिमिट दिया गया। जिससे प्रदेश के सभी को-ओपरेटिव बैंक प्रॉफिट में आए निबन्धक श्री पांडेय द्वारा अब सीसीएल लिमिटेड 25 लाख से 35 लाख बढ़ाए जाने से कर्मचारियों को सुविधाएं तो मिलने जा ही रही हैं साथ में को- ओपरेटिव बैंक भी  और मजबूत होने का अच्छा संकेत दे रहे हैं। ’ शासन स्तर पर कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी, राजपत्रितध्  गैर राजपत्रित अधिकारी, ग्रुप वन के अधिकारी भी इसका लाभ उठा सकते हैं’ उत्तराखंड राज्य में डिस्टिक को-ओपरेटिव बैंकों द्वारा कर्मचारियों को सबसे कम  9.75 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जा रहा है। लाखों कर्मचारी 35 लाख रुपए तक इसी ब्याज दर पर सीसी लिमिट ले सकेंगे। प्रदेश के को-ओपरेटिव मंत्री डॉ धन सिंह रावत का है यह फैसला कर्मचारियों के हित में देखा जा रहा है।

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