गैरसैंण विधानसभा सत्र में हंगामा बरपाने को कांग्रेस तैयार
देहरादून : गैरसैंण में इस बार शीतकालीन विधानसभा सत्र को लेकर सियासत गर्म हो गई है। गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन सत्र को टालकर सरकार ने शीतकालीन सत्र के जरिये विपक्ष को जिस अंदाज में जवाब देने की कोशिश की है, उसका नतीजा शीतकालीन सत्र में हंगामे के रूप में सामने आना तकरीबन तय है। कांग्रेस ने विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों के साथ ही कार्मिक असंतोष और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।
गैरसैंण में राजधानी बनाए जाने का मुद्दा जब-तब गर्माता रहता है। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के केंद्रबिंदु रहे गैरसैंण में स्थायी या अस्थायी राजधानी को लेकर अब तक किसी भी सरकार या सत्तारूढ़ दल ने गंभीरता के साथ पत्ते नहीं खोले हैं।
अलबत्ता, इस मुद्दे पर एकदूसरे को घेरने में कसर नहीं छोड़ी है। पिछली कांग्रेस सरकार ने पहले गैरसैंण में कैबिनेट और फिर विधानसभा भवन का शिलान्यास कर इस मुद्दे को गरमाए रखा तो बाद में विधानसभा सत्र आयोजित कर भाजपा पर बढ़त बनाए रखने में पूरा दम-खम लगा दिया।
बीते वर्ष जब विपक्ष में रहते हुए भाजपा की ओर से ग्रीष्मकालीन राजधानी का मुद्दा जोरों से उछाला गया तो पिछली कांग्रेस सरकार ने बीते नवंबर माह में शीतकालीन सत्र आहूत कर सियासी दांव खेल दिया था।
अब प्रदेश की सत्ता बदलने के बाद भाजपा सरकार ने कमोबेश उसी अंदाज में पासा फेंका है। गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन सत्र आहूत करने पर जोर देती रही कांग्रेस को सरकार ने शीतकालीन सत्र का फैसला लेकर सियासी पलटवार किया है।
गैरसैंण को लेकर जारी इस सियासत में विधानसभा अध्यक्ष भी पीछे नहीं हैं। पिछली सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे गोविंद सिंह कुंजवाल गैरसैंण को राजधानी बनाने की पैरोकारी करते रहे तो अब मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी इसी अंदाज में अपनी बात रखने से चूक नहीं रहे हैं।
गैरसैंण को लेकर जारी इस सियासत से राज्य की स्थायी राजधानी का मसला भले ही हल न हो, लेकिन गैरसैंण में विधानसभा सत्र को हंगामाखेज बनाने की जमीन जरूर तैयार हो गई है।
विपक्ष कांग्रेस ने प्रदेश सरकार की खामियों को लेकर सत्र को गर्माने की रणनीति तैयार की है। इसके लिए प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था को प्रमुख मुद्दा बनाया ही जाएगा, विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षित शिक्षकों के आक्रोश को भी भुनाने की तैयारी की गई है।
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत इन प्राथमिक शिक्षकों के मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और एनसीटीई के रुख को लेकर कांग्रेस हमलावर रहेगी। वहीं राज्य कर्मचारियों के आंदोलन के रूप में कार्मिक असंतोष को लेकर सरकार को घेरने की तैयारी है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ऐसे मुद्दों की फेहरिस्त को अंतिम रूप दे रहे हैं।