लोकायुक्त की नियुक्ति पर घेर रही कांग्रेस
उत्तराखण्ड में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस त्रिवेन्द्र रावत सरकार पर लोकायुक्त की नियुक्ति में हीला-हवाली का आरोप लगा रही हैं। प्रदेश में कांग्रेस की बागडोर संभालने वाले प्रीतम सिंह ने इस मामले पर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की है।
उत्तराखण्ड सरकार पर लोकायुक्त की तैनाती को लेकर हीला-हवाली करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा भ्रष्टाचार को बिल्कुल ही बर्दाश्त न करने की बात कहती थी। इसे जुमला बना दिया गया था। इस पर जीरो टालरेंस की बात की जाती थी लेकिन लोकायुक्त की तैनाती नहीं हो रही है। इससे अपराधियों को बचाने की साजिश की जा रही है। सोची-समझी साजिश के तहत ही अधिनियम को लटकाया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह कहते हैं कि 2017 में सरकार बनने के तीन महीने बाद ही लोकायुक्त का गठन करने की बात कही गयी थी। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत इस वादे को भूल गये हैं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा पिछले साल लाये गये लोकायुक्त विधेयक को कांग्रेस उसी स्वरूप में पारित कराने को तैयार थी लेकिन विपक्षी पार्टी के इस कदम से राज्य सरकार खुद ही बैकफुट पर आ गयी है। त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंप दिया है।
प्रीतम सिंह कहते हैं कि इसका मतलब यही है कि त्रिवेन्द्र रावत सरकार लोकायुक्त अधिनियम को पारित करवाना ही नहीं चाहती है एक सोची-समझी साजिश के तहत अधिनियम को लटकाने के लिए उसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया है। समिति की चार बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अब तक लोकायुक्त अधिनियम को विधानसभा सत्र में नहीं लाया गया है। सरकार इसे सदन की सम्पत्ति बताते हुए यह भी नहीं स्पष्ट कर रही है कि उसे कब लाया जाएगा। प्रीतम सिंह सवाल पूछते हैं कि यदि भ्रष्टाचार के खिलाफ बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर काम कर रहे हैं और आप सचमुच ईमानदार हैं तो लोकायुक्त के गठन से क्यों डर रहे हैं?
यहां पर जानना जरूरी है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी तत्कालीन लोकायुक्त अधिनियम 2014 में संशोधन करके लोकायुक्त की नियुक्ति को टालने का प्रयास किया था लेकिन इस आधार पर यह तो नहीं कहा जा सकता कि कांग्रेस की सरकार ने ऐसा किया था तो भाजपा सरकार को भी अधिनियम लटकाने का अधिकार है। जनता ने कांग्रेस को इन्हीं सब बातों की सजा दी है तो भाजपा को इससे सबक लेना होगा।