कांग्रेस में खल रही मास लीडर की कमी
देहरादून, । वर्तमान में गुटबाजी के चलते हालात ठीक नहीं चल रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के खिलाफ काफी हद तक कांग्रेसी लामबंद हो रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा यहां तक हो रही है। कि 2019 के चुनाव से पहले पार्टी आलाकमान को उत्तराखण्ड में बड़ा सांगठिक फेर बदल करना ही पड़ेगा। नहीं तो कांग्रेस को चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के भीतर इस समय प्रदेश अध्यक्ष को हटाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। पिछले सरकार के समय कई कांग्रेसी दिग्गजों के भाजपा में शामिल होने के बाद अब कांग्रेस ंमें मास लीडर की कमी खल रही है।कांग्रेस में एक साथ कई बड़े दिग्गज नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस में अब गुटबाजी पर विराम लगेगा, लेकिन कांग्रेस में हाल ही में जो नए हालात बने हैं उनसे पार्टी में नई जुगलबंदियां बनती हुई दिखाई दे रही हैं। ऐसा हुआ कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के आने के बाद पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और हरीश रावत की एक बार फिर से नजदीकियां बढ़ गई हैं। दिल्ली में वो एक दूसरे के साथ कई दौर की बैठक कर चुके हैं। कांग्रेस सरकार के दौरान सीएम रहे हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष रहे किशोर उपाध्याय के बीच बयानबाजी कड़वाहट के स्तर तक पहुंच चुकी है।दोनों ही नेता अपने बयानों में एक-दूसरे के लिए फूल बरसाते हुए दिख रहे हैं। हरीश रावत के कार्यक्रम में किशोर गुट और किशोर उपाध्याय के कार्यक्रम में हरीश गुट बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हुए दिखाई देते हैं। इस जुगलबंदी की लामबंदी प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ है। अपने बयानों से वो इस बात को जाहिर भी कर रहे हैं, हालांकि किशोर उपाध्याय जुगलबंदी से इन्कार तो कर रहे हैं, लेकिन हाल ही में कांग्रेस में हुई ज्वाइनिंग पर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को नसीहत भी दे रहे हैं। कांग्रेस में दूसरी जुगलबंदी जो विधानसभा चुनाव हारने के बाद बनी है, वो नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की है। प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष कई मंचों को साझा करते रहे हैं जिनसे कांग्रेस के पूर्व सीएम और पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय नदारद दिखाई दिए। दोनों ही गुटों की बयानबाजी ने गुटबाजी की तस्वीर को साफ कर दिया है। ये जुगलबंदी उस समय ज्यादा मजबूत दिखाई दी, जब इन्होंने दूसरे गुट को कांग्रेस में भाजपा के बागियों को शामिल कर चूंटी काट दी। जबकि उस विधानसभा के बड़े नेता इस ज्वाइनिंग से नाराज दिखे। सवाल उठे कि कांग्रेस के बड़े नेताओं को इस फैसले में शामिल नहीं किया गया, तो उनका कहना था कि राजनीति की ये अदा उन्होंने हरीश रावत और किशोर उपाध्याय से ही सीखी है।