अधिमान अंक को लेकर असमंजस बरकरार, छात्र नेताओं ने किया कुलसचिव का घेराव

नैनीताल : हाई कोर्ट से एनसीसी-एनएसएस, स्काउट-गाइड व सैनिक पाल्यों को अधिमान अंक की हरी झंडी भले ही मिल गई हो मगर स्थानीय छात्र-छात्राओं को आसानी से दाखिला मिल जाएगा, इसको लेकर असमंजस बरकरार है। अब इस मामले को लेकर छात्रनेताओं ने आंदोलन का एलान कर दिया है।

इसको लेकर आज पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष नितिन कार्की के नेतृत्व में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों समेत भाजपा और भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने विवि प्रशासनिक भवन में कुलसचिव प्रो. डीसी पांडेय का घेराव किया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं। उन्होंने एक हफ्ते तक प्रवेश प्रक्रिया स्थगित करने की मांग करते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाय।

दरअसल कुमाऊं विवि के परिसर समेत संबद्ध कॉलेजों में अधिकांश छात्र-छात्राएं मध्यम आर्य वर्ग के परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। इन परिवार के छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित ना रहें, इसलिए विवि की स्थापना की गई थी। पिछले साल हाई कोर्ट ने स्थानीय छात्रों को अधिमान अंक देने संबंधी शासनादेश निरस्त कर दिया।

इस बार प्रवेश प्रक्रिया आरंभ हुई तो सरकार और विवि को इसकी जानकारी लगी। जिसके बाद विवि ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जो खारिज हो गई। छात्र नेताओं का दबाव बढ़ा तो सरकार की ओर से हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का बयान दिया गया। खुद उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी।

इधर हाल ही में डीएसबी के छात्र नेता अभिषेक मेहरा व अन्य ने याचिका दायर कर एनसीसी, एनएसएस, स्काउट-गाइड प्रमाण पत्र प्राप्त व पूर्व व सेवारत सैनिक पाल्यों को अधिमान अंक देने को लेकर याचिका दायर की तो कोर्ट ने हरी झंडी दे दी। इधर इस आदेश के बाद भी स्नातक प्रथम में दाखिले के लिए आवेदन करने वाले अधिकांश स्थानीय छात्रों को प्रवेश मिल जाएगा, इसको लेकर असमंजस बना हुआ है।

पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष नितिन कार्की के अनुसार अधिमान अंक को लेकर हाई कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे सभी लोकल को प्रवेश मिलेगा, इस पर असमंजस है। विवि की स्थापना ही स्थानीय छात्रों को उच्च शिक्षित बनाने के मकसद से हुई थी, इसलिए उनके हितों के साथ अनदेखी बर्दास्त नही की जाएगी।

कार्की के अनुसार पहले प्राइवेट परीक्षा मुक्त विवि को देने की कसरत कर विवि के हितों पर चोट की गई। मंगलवार को इस मसले को लेकर कुलपति प्रो. डीके नौडिय़ाल से मुलाकात की जाएगी। यहां उल्लेखनीय है कि इस बार यूजी-पीजी कक्षाओं में दाखिले के लिए 58 हजार से अधिक छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया है। इसमें 60 फीसदी से अधिक स्नातक कक्षाओं के हैं।

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