बाडी लैंग्वेज से ही हो जाती है दुष्कर्म की पुष्टि : सुषमा साहू
भोपाल। आमतौर पर जब कोई रेप पीड़िता थाने में एफआईआर कराने आती है तो उसकी बाडी लैंग्वेज से यह पता लगाया जा सकता है कि उसके साथ रेप हुआ है या नहीं। यह कहना है राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू का। गुरुवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय में मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने यह कहा।
उन्होंने कहा कि देश में व्हाइट टाइ वाले भारत को बर्बाद कर देंगे। यह उन्होंने एक केस के संदर्भ में कहा था, जो उनके पास विगत दिनों बिहार में रेप पीड़िता के संबंध में आया था। उन्होंने बताया कि केस डिटेल ऐसी भाषा शैली में लिखा था कि पढ़ने में भी शर्म आ रही थी। इस तरह की बातें केस में सिर्फ इसलिए डाला जाता है, ताकि केस तगड़ा बना सके।
दरसअल, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू गुस्र्वार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बैठक लेकर महिला उत्पीड़न संबंधी मामलों में की गई कार्यवाही की समीक्षा की गई। इस दौरान उन्होंने बताया कि प्रदेश के पांच जिलों भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर व सागर के एक-एक थाने में पायलट प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं के लिए विशेष सेल स्थापित किए गए हैं। इस पायलट प्रोजेक्ट की स्थापना राष्ट्रीय महिला आयोग एवं टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के समन्वित प्रयासों से की गई है ।
एनजीओ का पेट भरने के लिए हम यहां नहीं बैठे
भोपाल में यह स्पेशल सेल हबीबगंज थाने में स्थापित की गई है। समीक्षा बैठक के दौरान सेल प्रभारी को जमकर फटकार लगाते हुए कहा कि मुझे कागजी आंकड़े नहीं चाहिए फील्ड में क्या काम किया है वह दिखाएं। उन्होंने ने यहां तक कह दिया कि हम यहां एनजीओ का भेट भरने के लिए नहीं बैठे है बल्कि पुलिस की मदद करने के लिए बैठे है। इस सेल की कार्य से असंतुष्ट सुषमा साहू ने आपके पास रेप के केस नहीं आए आपको कोई जानता ही नहीं है, आप क्या काम करते हो इसकी लोगों की जानकारी ही नहीं है तो आप यहां है क्यो। क्यो ना इस सेल को बंद कर दिया जाए।
मेरी सेलरी में पैसे ले लो लेकिन सभी पुलिस थानों में महिला शौचालय पृथक से बनवाओ, इसे मेरा आदेश समझो
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य ने पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि स्पेशल क्राइम ब्रांच थाने सहित अन्य पुलिस थानों में भी महिलाओं के लिए पृथक से शौचालय बनवाने की व्यवस्था तत्काल कराई जाए। मेरी सेलरी में से पैसे ले लो, लेकिन यह काम एक माह में खत्म कर मेरे पास रिपोर्ट आना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिए कि महिला थाने में आने वाली फरियादी महिलाओं की काउंसलिंग के लिए मनोवैज्ञानिक की व्यवस्था की जाए।
तो डासा से दिलाएं नि:शुल्क वकील
बैठक में कहा कि स्पेशल सेल में आने वाली पीड़ित महिलाओं को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण(डालसा) के माध्यम से नि:शुल्क विधिक सहायता दिलाने की व्यवस्था की जाए। इतना ही नहीं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए उनकी रुचि अनुसार सिलाई, कढ़ाई जैसे व्यवसायों का प्रशिक्षण दिलाकर उन्हें रोजगार स्थापित करने में मदद दिलाई जाए।
उन्होंने जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग से वन स्टॉप सेंटर के बारे में जानकारी ली तथा निर्देश दिए कि वे अपनी बैठकों में सीडीपीओ व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को महिलाओं के लिए गठित स्पेशल सेल की जानकारी दें ताकि वे अपने क्षेत्र की महिलाओं को इनके बारे में जानकारी दें। हालांकि उन्होंने कहा कि वन स्टॉप सेंटर जहां बने हुए है वे वहां नहीं होना चाहिए।