देहरादून शहर में फटा बादल, सड़कें बनी तालाब; स्कूलों में छुट्टी
देहरादून : उत्तराखंड में आमतौर बादल फटने की घटनाएं पहाड़ी क्षेत्रों में होती हैं, लेकिन गुरुवार को दून शहर के बीचों-बीच बादल फटा। इससे किसी तरह का नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन शहर की सड़कें तालाब में तब्दील हो गईं। भारी बारिश के चलते देहरादून के डीएम ने शुक्रवार को 12वीं तक सभी स्कूलों में अवकाश घोषित किया है। वहीं, हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत ने जिले के सभी स्कूल कालेजों और आंगनबाड़ी केंद्रों को शुक्रवार को बंद रखने का आदेश दिए हैं।
देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि दोपहर बाद तीन बजे से चार बजे के बीच शहर में 91 मिमी बारिश हुई, जबकि 100 मिमी बारिश होने को बादल फटने कहा जाता है। उन्होंने बताया कि इतनी बारिश को बादल फटने जैसी घटना माना जा सकता है।
हालांकि उन्होंने इसे आश्चर्यजनक नहीं माना, कहा कि देहरादून के राजपुर क्षेत्र में इतनी बारिश होती रहती है। मौसम केंद्र के निदेशक के अनुसार अगले 24 घंटों में प्रदेश में भारी बारिश होने की संभावना है।
उधर, पहाड़ों पर हो रहा भूस्खलन यात्रियों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। कुमाऊं के पिथौरागढ़ में पहाड़ी से गिरे बोल्डर (विशाल पत्थर) की चपेट में आकर बाइक सवार दो युवकों की मौत हो गई। प्रदेश में बीते चार दिन में अब तक भूस्खलन से सात लोग जान गंवा चुके हैं।
इसके अलावा चार धाम मार्गों पर भी मलबा आने से यातायात में बाधा आ रही है। मलबा आने से प्रदेश में 185 सड़कें बंद हैं। यद्यपि गंगा समेत ज्यादातर नदियों के जलस्तर में कुछ कमी आने से तटीय इलाकों ने राहत की सांस ली है। बावजूद इसके हरिद्वार में प्रशासन पूरी तरह सतर्क है, तटीय इलाकों की निगरानी के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है।
चमोली जिले में बदरीनाथ के पास लामबगड़ में बुधवार दोपहर बाद से बंद हाईवे को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के जवानों ने सुचारु कर दिया। रुक-रुक कर मलबा आने के कारण हाईवे करीब 19 घंटे बाधित रहा। यही स्थिति केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्गों की भी है। हालांकि इन पर यातायात सुचारु है।
दूसरी ओर टिहरी झील का जलस्तर भी 800 मीटर के निशान को पार कर गया। हालांकि अभी यह लाल निशान (815 मीटर) से काफी दूर है, लेकिन टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट ने प्रशासन को पत्र लिख इसकी सूचना दे दी है।
गौरतलब है कि पिछले साल आठ अगस्त को झील का जलस्तर 800 मीटर के पार पहुंचा था। इस बार यह नौबत पांच दिन पहले आ गई है। टिहरी की जिलाधिकारी सोनिका ने बताया कि अभी घबराने जैसी कोई बात नहीं है। उच्च हिमालय में हो रही बारिश के कारण झील का जलस्तर बढ़ा है।