उत्तराखंड में एमसीटी के दक्षिण भाग पर ही आ रहे बड़े भूकंप
देहरादून : प्रमुख भूकंपीय लाइन में से एक मेन सेंट्रल थ्रस्ट (एमसीटी) धरती के भीतर उच्च तनाव के संकेत तो दे रही है, साथ ही उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में इसकी सक्रियता वैज्ञानिकों को भी आशंकित कर रही है। यह कोरी बयानबाजी नहीं बल्कि, भूंकप के आंकड़े भी इसकी तस्दीक कर रहे हैं। उत्तराखंड में वर्ष 2007 के बाद चार रिक्टर स्केल से ऊपर के जितने भी भूकंप आए हैं, वह एमसीटी के दक्षिण भाग पर ही आए हैं।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजय पाल के अनुसार बुधवार को रुद्रप्रयाग में आए भूकंप को मिलाकर वर्ष 2007 के बाद चार रिक्टर स्केल से अधिक के 14 भूकंप रिकॉर्ड किए गए। इन सभी भूकंप में एक समानता यह है कि ये एमसीटी के दक्षिणी भाग पर आए हैं।
इस जोन में प्रमुख रूप से रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ के जिले शामिल हैं। इन भूकंप से यह भी पता चलता है कि इस जोन में धरती के भीतर टेक्टोनिक्स प्लेटों में लगातार तनाव की स्थिति बनी है। यही वजह है कि यहां से निरंतर रूप से ऊर्जा छोटे-छोटे भूकंप के रूप में बाहर आ रही है।
इसका मतलब यह नहीं ऊर्जा रिलीज हो रही है, बल्कि यह भविष्य के बड़े भूकंप का संकेत हो सकता है। भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, लेकिन इसके लिए तैयार जरूर रहा जा सकता है। ताकि बड़ा भूकंप आने पर जान-माल का कम नुकसान हो।
एमबीटी व एचएफटी में कम हलचल
उत्तराखंड से अन्य भूकंपीय फॉल्ट लाइन मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) व हिमालय फ्रंटल थ्रस्ट (एचएफटी) भी गुजर रही हैं, लेकिन इनमें ऐसी हलचल नजर नहीं आ रहीं। हालांकि भूकंप के लिहाज से समूचा हिमालय संवेदनशील है और यहां हमेशा बड़े भूकंप की आशंका बनी रहती है।