अलीगढ़ में बच्चों को पढ़ा रहे, इस्लामिक हीरो है जाकिर नाईक
अलीगढ़। अलीगढ़ में जहां सर सैयद अहमद खां के चमन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी(एएमयू) से देश को नायाब रत्न मिल रहे हैं, वहीं अलगीढ़ में ही डॉ. जाकिर नाईक को इस्लामिक हीरो के रूप में भी पेश किया जा रहा है। मामला सामने आने पर अब जिला प्रशासन में खलबली मच गई है।
आतंकियों को वैचारिक शह देने के आरोपी और इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक डॉ जाकिर नाईक को अलीगढ़ के एक स्कूल में इस्लामिक ‘हीरो’ बताकर पढ़ाया जा रहा है। शहर के इस्लामिक मिशन स्कूल में पहली कक्षा के बच्चों को ‘इल्म-उन-नाफे’ नाम की जो पुस्तक दी गई है, उसमें नौ हस्तियों के साथ जाकिर नाईक भी है। किताब स्कूल ने ही छापी है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि यह पुस्तक दो साल पहले छापी गई थी। नए सत्र वाली किताबों में जाकिर नाईक का नाम नहीं होगा।
अलीगढ़ में ही एक शिक्षण संस्थान इस्लामिक मिशन स्कूल के मालिक डॉ. कुनैन कौसर ही पुस्तक ‘इल्म-उन-नाफे’ के संकलनकर्ता भी हैं। यह पुस्तक ग्रेड टू यानी पहली कक्षा के बच्चों के लिए है। दावा है कि इसे पढऩे से बच्चों का सामान्य ज्ञान बढ़ता है। पुस्तक के पृष्ठ संख्या 42 में इस्लाम के हीरो दिए गए हैं। इनमें नौ लोगों के चित्र हैं, जिनके नाम नीचे देकर उन्हें पहचानने को कहा गया है। इसी में बीच वाली पंक्ति में डॉ. जाकिर नाईक का फोटो भी है।
इसके साथ शेख अहमद दीदात, मुजफ्फर नगर के मौलाना कलीम सिद्दीकी, पाकिस्तान के मौलाना तारिक जमील व इसरार अहमद, ब्रिटिश नागरिक यूसुफ इस्टेट, अब्दुल्ला तारिक, हारुन याहिया, बिलाल फिलिप की तस्वीरें भी हैं।
डॉ. जाकिर नाईक की पोल तब खुली, जब बांग्लादेश में आतंकी हमला करने वाले दो आतंकियों ने जाकिर के विचारों से प्रभावित होने की बात कबूली। डॉ. नाईक एक जुलाई, 2016 को देश से भाग गया। उसके इंडोनेशिया या मलेशिया में होने का शक है। एनआइए ने 18 नवंबर 2016 को मुंबई शाखा में यूएपीए कानून व आइपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। दिसंबर-16 में इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को गृह मंत्रालय ने बैन कर दिया था।