राजधानी दिल्ली में यूं बिखर जाती है छठ की छटा, हर साल बदला है महापर्व का स्वरूप
नई दिल्ली । छठ लोकपर्व अब बिहार से बाहर देश के हर कोने में महापर्व का रूप ले चुका है। देश की राजधानी दिल्ली में तो छठ की छटा ही निराली है। छठ के लिए तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है। खासकर घाटों की सफाई को लेकर आम नागरिकों के अलावा नेता भी पर्व को सफल बनाने में जोर लगाते हुए नजर आते हैं।
दिल्ली-एनसीआर का शायद ही कोई ऐसा कोई कोना बचा हो, जहां छठ पर्व न मनाया जाता हो। इंडिया गेट से लेकर साउथ दिल्ली तक आपको छठ के रंग देखने को मिल जाएंगे। छठ के लिए बनाए गए खास घाटों पर लाखों की संख्या में भीड़ जुटती है। आस्था के इस पर्व में न सिर्फ पूर्वांचल, बल्कि दिल्ली के लोग भी शिरकत करते हैं। राजधानी में छठ के पर्व ने स्वरूप ही बदल लिया है। पर्व को सफल बनाने में पुलिस का योगदान भी अहम है। पर्व को लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं।
छठ पर सार्वजनिक अवकाश
1993 में दिल्ली की तत्कालीन भाजपा सरकार ने पहली बार छठ पूजा के लिए यमुना के घाटों की साफ-सफाई शुरू करवाई थी। बदलते वक्त के साथ अब छठ के लिए घाटों पर लाइट और सुरक्षा के इंतजाम भी किए जाते हैं।
बिहार और झारखंड के अलावा दिल्ली ऐसा राज्य बना, जहां छठ पर्व के लिए सार्वजनिक अवकाश की घोषणा हुई। केंद्र सरकार ने भी 2011 में छठ पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी। 2014 में दिल्ली सरकार ने छठ के मौके पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी। पड़ोसी राज्य यूपी भी पीछे नहीं रहा और 2015 में वहां भी सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की गई।
घाटों का है महत्व
राजधानी में छठ पर्व की लोकप्रियता की स्थिति आज यह है कि यहां हर साल करीब 25 से 30 लाख लोग इस पर्व में शिरकत करने लगे हैं और हर साल इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। दिल्ली सरकार छठ के लिए राजधानी में यमुना नदी के किनारों के अलावा बुराड़ी, किराड़ी, नजफगढ़, पालम, नांगलोई सहित अन्य इलाकों में कई घाटों में साफ-सफाई का इंतजाम कराती है जिसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
ऐसे बढ़ा दायरा
छठ पूजा से जुड़ी सामग्री अब दिल्ली के हर कोने में मिल जाएगी। छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले सामान राजधानी के तमाम बड़े बाजारों से लेकर छोटी गलियों में मिलना शुरू हो गया है। दिल्ली में अब सैकड़ों बाजार लगते हैं, जहां छठ पूजा का सामान मिलता है। राजधानी में छठ पर्व का ट्रेंड बदल गया है।
उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही होता है समापन
दिल्ली में रहने वाले कई श्रद्धालु ऐसे भी हैं जो छठ पर्व तो उतनी ही श्रद्धा के साथ करते हैं, लेकिन पूजा करने या अर्घ्य देने के लिए यमुना के किसी घाट पर नहीं जाते हैं। ऐसे व्रती आपस में मिल कर अपने क्षेत्र के किसी पार्क में कृत्रिम रूप से तालाब बना कर उसके किनारे ही पूजा करते और अर्घ्य देते हैं। सुबह उदित होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस व्रत का समापन होता है।
News Source: jagran.com