चारधाम यात्रा: 2019 में 34 लाख श्रद्धालुओं की तुलना में 2020 में 4.76 लाख तीर्थ यात्रियों ने किए दर्शन
देहरादून । इस बार कोरोना महामारी के संकट के बावजूद 4.76 लाख श्रद्धालुओं ने चारों धामों समेत श्री हेमकुंड साहिब के दर्शन किए। पिछले साल श्रद्धालुओं का यही आंकड़ा 34.10 लाख रहा। इस बार पहले ही दिन से चार धाम यात्रा के आयोजन को लेकर संशय से लेकर संकट की स्थिति रही। पहले बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के रावल के समय पर पहुंचने को लेकर संशय रहा।जब वो पहुंचे, उसके बाद भी उनके क्वारंटाइन होने के कारण दिक्कत हुई। हालांकि बदरीनाथ धाम को छोड़ कर शेष अन्य धाम अपने तय समय पर ही खुले। लेकिन यात्रा शुरू नहीं हो पाई। यात्रा तमाम पाबंदियों, कोरोना प्रोटोकॉल के साथ बाद में शुरू हुई, लेकिन तब तक बरसात शुरू होने के कारण श्रद्धालु सीमित संख्या में ही पहुंचे। यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या सितंबर महीने से बढ़नी शुरू हुई, जो अक्तूबर, नवंबर में चरम पर पहुंची। यही वजह रही, जो यात्रा संपन्न होते समय श्रद्धालुओं का आंकड़ा जैसे तैसे 4.76 लाख तक पहुंच सका। सबसे अधिक 3.10 लाख श्रद्धालु बदरीनाथ धाम पहुंचे। केदारनाथ धाम में 1.34 लाख, गंगोत्री 23837, यमुनोत्री 7731 और श्री हेमकुंड साहिब में 6500 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। जबकि हेमकुंड साहिब में भी सामान्य तौर पर डेढ़ से ढाई लाख तक श्रद्धालु पहुंचते रहे। श्रद्धालुओं की कम संख्या का सीधा असर चारों धामों को चढ़ावे से मिलने वाली राशि पर भी पड़ा। इस वर्ष बामुश्किल साढ़े आठ करोड़ रुपये तक ही कमाई हो सकी। जो सामान्य दिनों में 55 करोड़ तक पहुंचती रही। ऐसे में बोर्ड की इस साल की कमाई से कर्मचारियों के वेतन भत्ते नहीं दिए जा सकेंगे। हालांकि पिछले सालों की आय के रूप में मौजूद एफडी से फिलहाल बोर्ड के ऊपर किसी तरह का आर्थिक संकट नहीं है। पांच महीने बाद दोबारा यात्रा शुरू होने से स्थिति सामान्य होने की उम्मीद लगाई जा रही है।चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 2013 की आपदा के बाद घट कर न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई थी। 2014 में 2.13 लाख श्रद्धालुओं ने ही दर्शन किए थे। केदारनाथ धाम में तो सिर्फ 26614 श्रद्धालु ही पहुंचे थे। 16 जून 2013 को आई आपदा में केदारनाथ धाम में आई प्रलय से सब तहस नहस हो गया था। इसके बाद ये पहला मौका है, जब यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या पांच लाख से नीचे 4.76 लाख रही।